Book Title: Shrutsagar 2015 03 Volume 01 10 Author(s): Hiren K Doshi Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba View full book textPage 6
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुरुवाणी आचार्य बुद्धिसागरसूरिजी जैन परोपकारी मनुष्यो धर्मार्थकांक्षी मनुष्योए निष्कामवृत्तिथी उपकारप्रवृत्ति आचरवी जोईए. सं. १९४७नी सालमां विजापुरमा एक मनुष्यने क्षेत्रमा सर्प करड्यो तेनुं विष तेने सर्व शरीरमां व्यापी गयु. तेने उंचकीने गाममां लाववामां आव्यो पण उतर्यु नहि; एवामां दैववशात् त्यां एक फकीर आव्यो. तेणे तुरत मंत्रथी सर्पनुं विष उतार्यु अने पश्चात् तुरत ते तेना मार्ग प्रति गमन करवा लाग्यो. जे मनुष्यने सर्प करड्यो हतो तेना कुटुंबीओए पेला फकीरने मागे ते आपवाने घणी आजीजी करी अने तेनी पाछळ दोडी तेने उभो राखी पगे लागी बे हाथ जोडी घणु कडुं. त्यारे पेला फकीरे कह्यु के-में तमारा कुटुंबी मनुष्य पर उपकार कर्यो छे तेथी हुं तमारूं कंई पण लेवानो नथी. विशेष शु? तमारा घरनुं जल पण ग्रहीश नहि. मारी निष्कामवृत्तिना बळे सर्पनो मंत्र भणतां सर्प तुरत उतरी जाय छे अने मने वास्तविक जे फल थवानु होय छे ते थाय छे माटे मने हवे तमे कंइ पण कहेता नहि. धन्य छे एवा फकीरने आ दृष्टांत उपरथी अवबोधवानुं ए मळे छे के निष्कामवृत्तिथी उपकार करवो. ओघदृष्टि आदि अष्टदृष्टिए उपकारनुं स्वरूप अवबोधी उपकार करवो जोइए. १. द्रव्योपकार २. भावोपकार ३. निश्चयोपकार, ४. दर्शनोपकार ५. ज्ञानोपकार ६. चारित्रोपकार, ७. विद्योपकार ८.आजीविकोपकार ९. औषधोपकार, १०. अन्नोपकार ११. जलोपकार १२. धर्मोपकार, १३. रक्षकोपकार-आदि अनेक प्रकारना उपकारो छे.. १. रजोगुणोपकार, २. तमोगुणोपकार अने ३. सत्त्वगुणोपकार एम त्रण प्रकारना उपकारनुं सम्यक्त्वस्वरूप अवबोधq. एकेन्द्रियथी ते पंचेन्द्रियपर्यन्त जीवो रजोगुणोपकार, तमोगुणोपकार करी शके छे. जे जे काले क्षेत्रे जे जे उपकारनी आवश्यकता होय छे तेनी ते वखते मुख्यता For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
1 ... 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36