Book Title: Shrutsagar 2015 03 Volume 01 10
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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SHRUTSAGAR
16
MARCH-2015 पीतलनां पाषाणनां रे हां, बिंब तणु नही पार मेरे मनि वसिउ। ते सवि भावइं भेटता रे हां, वारइ विघन विकार मेरे मनि वसिउ ॥१२॥
भाव सहित करउं जात्र... विमल मंत्री ऊभउ रहिउरे हां, अश्व ऊपरि छत्रधार मेरे मनि वसिउ । वैमानिक दस सुरपती रे हां, गज चढ्या करइं जुहार मेरे मनि वसिउ॥१३॥
भाव सहित करउँ जात्र... विमलवसही वांदी वलिउरे हां, आगलि आविउ जांम मेरे मनि वसिउ। लूंणगवसही मांहि गयुरे हां, दीठा नेमि जिन सांमि मेरे मनि वसिउ ॥१४॥
भाव सहित करउं जात्र... ते दीठइ मनमोहीउ रे हां, हूउ कृतारथ आज मेरे मनि वसिउ। भीमप्रसाद जव निरखीउ रे हां, सीधा सघलां काज मेरे मनि वसिउ॥१५॥
भाव सहित करउं जात्र... चुमुख साह जसू तणु रे हां, से, धरी उहल्लास मेरे मनि वसिउ । हुंबड वसहीइं जिन घणारे हां, दीठा जिमणइ पासि मेरे मनि वसिउ॥१६॥
भाव सहित करउं जात्र... रसीउ वालिंभ(म) नारिसिउरे हां, ऊभउ आनंद पूरि मेरे मनि वसिउ । अचलगढ भणी चालीउ रे हां, पाप पडल सवि चूरि मेरे मनि वसिउ ॥१७॥
भाव सहित करउं जात्र... सांति जिणेसर सोलमुरे हां, भेटिउ कुम(मा)र विहारि मेरे मनि वसिउ। भांड वसही भइंसा जिहांरे हां, सरसां धीर हिउधार मेरे मनि वसिउ ॥१८॥
भाव सहित करउं जात्र... अचलेश्वर देउल तिहां रे हां, जोयु पीतलमय सांड मेरे मनि वसिउ। सरोवर वापी मठ भलारे हां, मोटी तीरथ मांडि मेरे मनि वसिउ ॥१९॥
भाव सहित करउं जात्र...
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