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आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिर में पत्र-पत्रिकाओं की सूचना संकलन पद्धति एवं उसका लाभ
डॉ. हेमन्त कुमार
किसी भी पुस्तकालय के दो मुख्य कार्य होते हैं. तएक पुस्तकें, हस्तप्रतें, मैगजीन एवं अन्य पाठन सामग्रियों का संकलन करना एवं दूसरा उन पाठन सामग्रियों को योग्य वाचकों को पठन, संशोधन, संपादन आदि कार्यों हेतु उपलब्ध कराना. लगभग सभी पुस्तकालयों की अपनी-अपनी व्यवस्था और कार्यप्रणाली होती है. कहीं सूचनाओं का संकलन सामान्य तो कहीं मध्यम तो कहीं विस्तृत रूप से संकलन किया जाता है. प्रायः सभी पुस्तकालयों में पुस्तकों के साथ पत्र-पत्रिकाओं का भी संकलन एवं रख-रखाव किया जाता है एवं वाचकों को योग्य सूचना उपलब्ध कराने के उद्देश्य से पत्रिकाओं की सूचनाओं का संकलन किया जाता है.
जब कोई किसी ग्रंथालय में जाकर वहाँ संकलित पत्र-पत्रिकाओं अथवा उनमें प्रकाशित किसी निबन्ध के सम्बन्ध में अपनी अपेक्षित पत्रिका या लेख से संबंधित किसी भी प्रकार की जानकारी प्राप्त करना चाहता है तो, इसके लिए पुस्तकालय के कर्मचारी रजिस्टर में से उस पत्रिका का वर्षानुक्रम से अंक निकालकर वाचक को दे देते हैं. उन रजिस्टरों में अंकित पत्रिकाओं का विवरण इतना संक्षिप्त होता है कि वाचक को उसकी आवश्यक पत्रिका या अपेक्षित लेख प्राप्त करने में अधिक समय लग जाता है, कभी-कभी वाचक को निराशा भी हाथ लगती है. यदि वाचक को यह पता नहीं हो कि अपेक्षित लेख किस पत्रिका में और किस अंक में प्रकाशित हुआ है, तो शायद उसे लेख मिल भी नहीं पाएगा, जबकि वह लेख उस ग्रंथालय में संगृहीत पत्रिकाओं में होता है. इसलिए यह पद्धति अधिक प्रभावकारी सिद्ध नहीं हो पाती है. जिसके कारण एक पृष्ठ का निबन्ध प्राप्त करने हेतु वाचक एवं कर्मचारियों का कई घंटों का समय निकल जाता है.
वाचकों की ऐसी समस्याओं के समाधान के लिए आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर में स्वविकसित कम्प्यूटरीकृत प्रोग्राम में संगृहीत सभी नई व पुरानी पत्रिकाओं एवं उनमें प्रकाशित संशोधन परक लेखों की सूक्ष्मतम सूचनाओं को कम्प्यूटरीकृत सूचना पद्धति के अनुसार संगृहीत किया जाता है, जिससे वाचक अल्प
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