Book Title: Shrutsagar 2015 03 Volume 01 10
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 16
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR 14 MARCH 2015 वि. सं. १६९६ अने वि. सं. १७०५ना रचनावर्षने जणावती बे रचनाओना संदर्भे तेओ सत्तरमी सदीना उत्तरार्धथी अढारमी सदीना पूर्वार्धमां विद्यमान हता एवं अनुमान करी शकाय छे. कर्ता संबंधी अन्य विशेष माहितीओ प्राप्त थई शकी नथी. प्रत परिचय प्रस्तुत प्रत आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिरमां ४८९३५ नंबर उपर संग्रहीत छे. प्रत कुल बे पत्रोनी छे. प्रत परिमाण २७x९१.५० छे. प्रतमां १३ लाईनमां ३५ जेटला अक्षरोनुं आलेखन थयुं छे. प्रतना अधिक उपयोगना कारणे किनारीओनो साधारण भाग खवाई गयो छे. तो शाहीना कारणे चोंटी गयेला पत्रो खोलता केटलांक अक्षरोने हानि थई छे. अक्षरो सुंदर छे. प्रत अने कृति संबंधी विशेष विगतो कैलासश्रुतसागर ग्रंथसूचि भाग १२मां प्रकाशित थई गयेल छे. प्रतमां प्रथम श्री अर्बुदगिरि चैत्यपरिपाटी अने त्यारबाद ज्ञानपंचमी स्तुतिनुं आलेखन थयुं छे. अर्बुदगिरितीर्थ चैत्यपरिपाटी HD|| ॥ राग केदारउ ॥ ॥ साधु वचन श्रवणे सुणी रे हां - ए ढाल ॥ ॥ नर्मदासुंदरीना रासनुं ॥ अरबुदगिरि रलीयांमणउ रे हां, बारजोयण विस्तार मेरे मनि वसिउ । गिरिवरनी पाजइं चढिउरे हां, आणी हरख अपार मेरे मनि वसिउ ॥ १ ॥ भाव सहित करउं जात्र मूंकी कलिमलउ, एह तीरथ सिरदार धरणी सिरितिलउ | आंकणी ॥ वंजाल वन गाह रे हां, चढतु वि (व)समी पाज मेरे मनि वसिउ । वसिष्टदेव मठि आवीउ रे हां, रामचंद गुरुराज मेरे मनि वसिउ ॥२॥ For Private and Personal Use Only करजोडी ऊभउ रहिउ रे हां, आगलि पाहाल परमार मेरे मनि वसिउ । करमदी करणी केवडी रे हां, फणस जंबीर अनार मेरे मनि वसिउ ॥ ३ ॥ - भाव सहित करउं जात्र... भाव सहित करउं जात्र...

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