Book Title: Shrutsagar 2015 03 Volume 01 10 Author(s): Hiren K Doshi Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba View full book textPage 5
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संपादकीय हिरेन के. दोशी श्रुतसागरनो दशमो अंक तमारा हाथमा छे. पूज्यपाद योगनिष्ठ आचार्यदेवश्री बुद्धिसागरसूरीश्वरजी म. सा. नी अध्यात्मशैलीमा आलेखायेल कर्मयोग कर्णिका पुस्तकमांथी 'जैनो परोपकारी मनुष्यो' वाचकोना स्वाध्याय माटे प्रकाशित कर्यो छे. तेमज पूज्यपाद गुरुदेवश्रीनी कविप्रतिभाने सुपेरे अभिव्यक्त करती गझल समी रचना “मळीने भिन्न ना थाशो" आ अंकमां प्रकाशित करी छे. मिलनना माहाम्यने पूज्यश्रीए कंईक आ रीते उजागर कर्यु छे. वपुथी मेळ ना साचा, नथी ए मेळ हस्तोथी हृदयना शुद्ध संबंधे, मळीने भिन्न ना थाशो. ६ आवी सुंदर शब्दावलीओ उरने झंकृत करी दे छे. असमाधिनी क्षणोमां आवा मीठा बोल जीवनने अने मनने समता आपी जता होय छे. अप्रकाशित कृतिना प्रकाशन रूपे आ अंकमां वाचक राजरत्न कृत अर्बुदगिरितीर्थ चैत्यपरिपाटी तेमज अढारनातरानी कथा प्रकाशित करी छे. तो साथे साथे कोबा ज्ञानमंदिरनी वाचकसेवानी व्यवस्थामां रूपांतरण करावी आपतो एक लेख अले प्रकाशित कर्यो छे. खास करीने आ लेख सामायिक, पत्रिका आदिने ध्यानमा लईने लखायो छे. वीतेला वर्षोमां अदबपूर्वक साहित्यनी सेवा बजावनार पत्र-पत्रिकाओए प्रकाशित करेली विगतोने केवा केवा प्रकारनी तारवणी द्वारा प्राप्त करी वाचको सुधी पहोंचाडी शकाय छे एनी एक आछेरी झलक आ लेखना माध्यमे तमारा सुधी पहोंचती करी छे. ___आजे एवा केटलीय अल्पप्रसिद्ध के अप्रसिद्ध पत्रिकाओ छे जेणे जैन साहित्यजगतने पुष्ट कर्यु छे. एवी तमाम पत्रिकाओमाथी योग्य विगतोने आवा प्रकारनी योजनाना माध्यमे वाचक अने संपादकोना अभ्यासार्थे एकत्रित करी शकाय छे. आ योजनानी पृष्ठभूने दर्शावतो लेख आ अंकमां प्रकाशित कर्यो छे. दर अंकनी जेम आ अंकमा पुस्तक समीक्षामा “आख्यानक मणिकोश"ना प्रकाशन संबंधी समीक्षा प्रकाशित करी छे. For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36