Book Title: Shrimad Devchandraji Jivan charitra
Author(s): Manilal M Padrakar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 198
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ज्ञानविमल सूरिजी, तिहां गया शेठ उदार. ९ विधिस्युं वांदी पुछीयुं, सहकूट सहननाम; आगमेंथी पृथकता, निकासो सुभधाम. १० ज्ञानविमलसूरि कहे, सहसकूटनां नाम; अवसरे प्राये जणावस्युं, कहेस्युं नाम ने ठाम. ११ सकलशास्त्रे उपयोगता, तिहां उपयोग न कोइ; : आगम कुंची जाणवी, ते तो विरला कोइ. १२ ए देशी-माहरी सहीरे समाणी. एक दिन श्री पाटण मझार, स्थाहानी पोलिं उदाररे. सहसजिननो रसीयो देवपद्रं, वयणे उलसीयो. १स. टेक. ते पोलिं चोमुखवाडी पास, सहुनी पूरे आसरे. स०.१ सतरभेदी पूजा रचाणी, प्रभु गुणनी स्तवना मचाणीरे. ज्ञानविमळ सूरि पूजामें आव्या, श्रावकने मन भाव्यारे. स०२ तिहां वली यात्राये देवचंद्र, आव्या बहुजनने वृन्दरे. सo For Private And Personal Use Only

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