Book Title: Shrimad Devchandraji Jivan charitra
Author(s): Manilal M Padrakar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 213
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एहवा पुरुष थोडा प्रभुमार्गना, 'प्रकाश' करवाने उछांहिं. सु० १७ ती० शाहा श्री आणंदरामजी, गुरुनी गुरुता देखि, भंडारी रत्नसिंघ आगले, प्रसंश करी सुविशेष. १ गुरु ज्ञानी शिरोमणि, जिनधर्मे वृषभ समान; मरु स्थळथी इहां आवीआ, सकलविद्यानुं निधान.२ रतनसिंह गुरु वांदवा, आव्यो आलय तास; नय उपनय संभलावीने, मन प्रसन्न कयु तास. ३ देशी:-धन धन श्री रीषिराय अनाथी. पूजा अरचा रतन भंडारी, करता श्री जिनवरनीरे; श्री देवचंद्रजीना उपदेशथी, शिवमंदिरनी निसरणीरे. धन धन ए गुरुरायने वयणे, जिनशासन दीपाव्योरे, पंचम आरे उत्तमकरणी, गुजरातिनो सो (सु?) बो नमाव्योरे. टेक. २ बिंब प्रतिष्टा बहुली थाये, सत्तर भेदी पूजारे; For Private And Personal Use Only

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