Book Title: Shrimad Devchandraji Jivan charitra
Author(s): Manilal M Padrakar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal
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एहवा पुरुष थोडा प्रभुमार्गना, 'प्रकाश' करवाने उछांहिं.
सु० १७ ती०
शाहा श्री आणंदरामजी, गुरुनी गुरुता देखि, भंडारी रत्नसिंघ आगले, प्रसंश करी सुविशेष. १ गुरु ज्ञानी शिरोमणि, जिनधर्मे वृषभ समान; मरु स्थळथी इहां आवीआ, सकलविद्यानुं निधान.२ रतनसिंह गुरु वांदवा, आव्यो आलय तास; नय उपनय संभलावीने, मन प्रसन्न कयु तास. ३
देशी:-धन धन श्री रीषिराय अनाथी. पूजा अरचा रतन भंडारी, करता श्री जिनवरनीरे; श्री देवचंद्रजीना उपदेशथी, शिवमंदिरनी निसरणीरे. धन धन ए गुरुरायने वयणे, जिनशासन दीपाव्योरे, पंचम आरे उत्तमकरणी, गुजरातिनो सो (सु?) बो नमाव्योरे. टेक. २ बिंब प्रतिष्टा बहुली थाये, सत्तर भेदी पूजारे;
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