Book Title: Shrimad Devchandraji Jivan charitra
Author(s): Manilal M Padrakar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 216
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ३७ ए सर्व देवचंद्र गुरुपसाये, हेमाचार्य कुमारपाल प्रीतरे. धोलकावासी सेठ जयचंदे, पुरिसोतम योगीरे; गुरुने लावी पायो लगाड्यो, जैनधर्मनो भोगीरे. योगिंद्र एक गिर पुरुसोत्तमने, ( ना ? ) मिथ्यात्व शल्यने काढ्योरे; बुझविने जिनधर्म मार्गमां, श्रुतिये मन तस वाल्योरे. पंचांइ पालीताणे आव्या, छनुंये सत्ताणुंये नवानगरेरे; ढुंढक टोलां देवचंद्रे जीत्यां, चैत्य चाल्यां सर्व झगरेरे. नवानगरे चैत्य जे मोटां, ढुंढके जे हतां लोप्यारे; अर्चा पूजा निवारण कीधी, ते सघलां फिरी थाप्यारे. परधरी गाममे ठाकुर बुझव्यो, गुरुनी आज्ञा मानेरे; x Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only धन० १३ धन० १४ धन० १५ धन० १६ धन० १७

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