Book Title: Shrimad Devchandraji Jivan charitra
Author(s): Manilal M Padrakar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal
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बोहोलो छे अधिकार जोतारे (२) ग्रंथ थाये मोटो घणोरे. भणस्ये देव विलास सांभलेरे (२) तसघरे कमला विस्तरेरे.
कलस. श्री वीर जिनवर सोहम गणधर जंबु मुनिवर अनुक्रमे, खरतर गच्छ उद्योतकारक, श्री जिनदत्त सूरयोपमे; तास पाट जिन कुशलं सूरि, जिनचंद्र सूरि तसपटे; युग प्रधाननो बिरुद जेहनो, नामथी दुःकृत कटे. १ गच्छ स्तंभक उपाध्यायजी, पुण्यप्रधाने प्रधानता; सुमति धारी सुमति पाठक, साधुरंग वाचक मुंता; श्री राजसागर उपाध्यायजी, ज्ञान धर्म पाठक थया; सुकृती दीपचंद पाठक, देवचंद्र पाठक जय जया. २ मनरूप वाचक विजयचंदी, पाठकनो पद भाग्यता; मनरूप पदकज मेरुगिरिवर, रायचंद रवि उद्गता; सुज्ञानतायें विनयवंते, बुद्धि युक्ति सुरगुरु, चंद्र' सूर 'ध्रु' तार तारक, रहो अविचल जयकरु. ३
इति श्री देवचंद्रजीनो निवार्ण रास संपूर्ण.
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