________________
२३६
श्रीमद्भागवत की स्तुतियों का समीक्षात्मक अध्ययन
करते हैं । रासलीला में जीव और ईश्वर का मिलन परस्पर शीघ्र हो जाता
"जयति तेऽधिक जन्मना वजः' यहां व्रज शब्द मानवीय शरीर का प्रतीक है । मानव शरीर (व्रज) में भगवान् श्रीकृष्ण के प्राकट्य से उसकी शोभा बढ़ती है । भगवान् के समीप ले जाने में जो समर्थ हो उसे व्रज कहेंगे। व्रज शब्द का अर्थ
व्रजति भगवत्समीपं स वजः ते जन्मना वजः अधिकं जयति ।
श्रीमद्भागवत समाधि भाषा सम्पन्न परमहंसों की संहिता है । भागवत में सर्वत्र प्रतीक कथाओं का चित्रण हआ है। भागवतकार ने प्रतीक के माध्यम से विभिन्न प्रकार के गूढ़ तथ्यों को सहजबोध बनाया है ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org