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पृष्ठांक.
कथा.
विषयांक. विषय का नाम. २३२ श्रेष्ठ महलमें रहने के फायदे ऊपर विक्रमराजाकी
৩৪৪ २३३ कालिदास पंडित गायें चराता था पर विद्याके
प्रसादसे सन्माननीय होगया उसका दृष्टांत. ७४५ २३४ इस लोकमें न सीख सके तो कमसे कम दो कलाएं तो अवश्य सीखना.....
७४६ २३५ पाणिग्रहण करनेका स्वरूप.
७४७ २३६ वर कन्याके लक्षणकी परीक्षा...
७४८ २३७ माठ प्रकारके विवाह.
७४९ २३८ स्त्रीका रक्षण करनेके उपाय,
७५० २३९ मित्र कैसे करना ? उसका स्वरूप. २४० जिनप्रतिमा बनवानेका स्वरूप. मूल गाथा १५ । २४१ जीर्णोद्धार करनेका स्वरूप.. २४२ जीर्णोद्धार करानेवाले मंत्री वाग्भट, भीम और आंबडमंत्रीके दृष्टांत..
७५५ २४३ जिनप्रतिमा स्थापन करनेका स्वरूप.
७५६ २४४ जीवन्तस्वामिकी प्रतिमाका और उदायनराजा - का चरित्र. . .
७५७ २४५ प्रतिमा किस २ वस्तुकी बनवाना ? उसका स्वरूप. ७६८ २४६ कैसी प्रतिमा पूजनेके योग्य है ? उसका स्वरूप. ७६९
७५४
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