Book Title: Shilopadesh Mala
Author(s): Harishankar Kalidas Shastri
Publisher: Jain Vidyashala

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Page 392
________________ ३०४ शीलोपदेशमाला. कृपण माणस जेम लक्ष्मीने विटंबना पमाडे तेम कृपण पतिए मने विटं. बना पमाडी डे; जेथी हुँ दोरी रहितधनुष्यनी लाकडीनी पेठे पिताना घरने विषे रडं बुं. कयु डे के-चतुर स्त्रीने मूर्ख पति, बुद्धिवंत शिष्योने जड गुरु तथा शूर पुरुषोने कायर अधिपति मृत्यु थकी पण व. धारे उःखकर्ता बे. हे नाथ ! तरश्याने तलावनी पेठे तमे घणे दहाडे म्हारी दृष्टिये प्राप्त थया बो; माटे म्हारा जीवनरूप पति तमेज बो." पली राजकुमारे मनोहर वाणीवाली ते स्त्रीना रूपथी मोहित थश्ने का. "हे रंजोरु ! वखत श्रावे हुं त्हारो मनोरथ सफल करीश." कुमारनां एवां वचन सांजली अत्यंत श्रानंद पामेली ते स्त्री पोताने घेर गश् श्रने राजकुमार पण अश्व उपर चडीने नगर तरफ चाल्यो. रस्ते मनुष्योना कोलाहल शब्दने सांजली तथा शून्य बजारोने जोर कुमारे जेटलामां सामी दृष्टि करी तेटलामा सात स्थानथी करता एवा मदथी पृथ्वीने पलालतो, उंचो कस्यो ने झुंडरूपी दंड जेणे एवो तथा क्रोधथी अंध बनेलो श्रने वली पोतानी सन्मुख श्रावतो एवो हाथी दीठो. पठी घोडा उपरथी उतरी वेगयी हाथीना सामो दोडी पो. ताना पासे राखवावें वस्त्र हाथ उपर वींटीने हाथवती हाथीने प्रहार कस्यो एटले क्रोध पामेलो ते हाथी सोंढने उबालतो तेना सामो दोड्यो. सर्वलोको हाहाकार करवा लाग्या. राजकुमार अगडदत्ते फरीथी पण हाथीने पुबना मूलमां मास्यो तेमज पोतानुं पासे राखवानुं तेना सामुं फेंकीने तेने नमाव्यो भने नमेला हाथी उपर वेगथी चडी जर महावतोए स्तुति करेला राजकुमारे तेने आलातस्थंन साथे बांध्यो. पली नुवनपाल राजाए द्वारपाल मोकली श्रगडदत्तने पोतानी पासे बोलाव्यो. राज सजामां श्रावीने प्रणाम करवा एवा तेने गाढ आलिंगन करी र. जाए पोताना पासे बेसास्यो अने कयु के, " हे वत्स ! जो के में गुणोए करीने त्हारं कुल जाण्युं , तो पण विशेष जाणवाने माटे म्हारं मन उतावल करे .” राजानां एवां वचन सांजली जेटलामां राजकुमार नींL मुख राखीने बेसी रहे तेटलामां पवनचंग उपाध्याये तेनुं सर्व वृत्तांत राजाने कही संजलाव्यु. “ जो राजा ने तो ते म्हारा राज्य

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