Book Title: Shatrunjay uper thayel Pratishthano Ahewal
Author(s): Ratilal D Desai
Publisher: Anandji Kalyanji Pedhi

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Page 186
________________ પરિશિષ્ટ ૨ : વિવિધ માહિતી : પ્રતિષ્ઠાની શ્રીસંઘ આમંત્રણ પત્રિકા ॥ श्री शत्रुजयमहातीर्थाधीश्वराय श्री ऋषभस्वामिने नमो नमः ॥ ॥ अनन्तलब्धिनिधानाय श्री गौतमस्वामिने नमः ॥ ॥ आचार्य श्री विजयनेमिसूरीश्वरसद्गुरुभ्यो नमः ॥ ॥ जिणबिंबपर्टी जे करंति तह कारवंति भत्तीए । अणुमन्नंति पइदिणं सब्वे ते सुहभाइणो हुंति ॥ परम पवित्र तीर्थाधिराज श्री शत्रुजय गिरिप्रवरे - श्री नूतनजिनालये अन्यजिनमन्दिरेषु च जिनबिम्ब प्रतिष्ठा निमित्ते . श्री संघ आमंत्रण पत्रिका आदिम पृथिवीनाथमादिमं निष्परिग्रहम् । आदिमं तीर्थनाथं च ऋषभस्वामिन स्तुमः ।। | पूर्णानन्दमयं महोदयमयं केवल्यचिद्गमयं | अचिन्त्यचिन्तामणिकल्पशाखिने, रूपातीतमयं स्वरूपरमणं स्वाभाविकीश्रीमयं । विशुद्धसद्ब्रह्मसमाधिशालिने । ज्ञानोद्योतमयं कृपारसमयं स्याद्वादविद्यालयं दयार्णवायार्थितदायिने सतां, श्रीसिद्धाचलतीर्थराजमनिशं वन्देहमादीश्वरं ।। _ नमो नमः श्री गुरुनेमिसूरये ॥ स्वस्ति श्री जिनमंदिर-उपाश्रयादि धर्मस्थानविभूषिते श्री............नगरे श्री संघ समस्त............................योग्य.. जयजिनेन्द्र पूर्वक प्रणाम साथे सहर्ष जणाववानुं के गिरिराज श्री शत्रुजय महातीर्थ उपर उत्थापन करेल श्री जिनबिंबोनी श्री शत्रुजय गिरिराज उपर नूतन बावनजिनालयविभूषित जिनमन्दिरमां, श्री आदीश्वर भगवानना (दादाना) मुख्य जिनालयमां, श्री नवा आदीश्वर भगवानना जिनमंदिरमां, श्री सीमंधरस्वामीना जिनमंदिरमां, श्री पुंडरीकस्वामीना जिनमंदिरमा तथा श्री गांधारियाना जिनमंदिरमा पुनः प्रतिष्ठा, परमपूज्य शासनसम्राट आचार्य भगवंत श्री विजयनेमिसूरीश्वरजी महाराजना पट्टालंकार परमपूज्य प्रशान्तमूर्ति आचार्यप्रवर श्री विजयोदयसूरीश्वरजी महाराजना पट्टधर अने आ प्रतिष्ठा माटे गिरिराज श्री शत्रुजय तरफ विहार करतां मार्गमां तगडी मुकामे कालधर्म पामेल परमपूज्य आचार्य Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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