Book Title: Shastra Sandeshmala Part 24
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

View full book text
Previous | Next

Page 372
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir द्वितीयः वर्गः अन्धियकवड्डियासुं कत्ताओ, मूलए कंदी। कंतू कामे, कंची मुसलाणणलोहवलयम्मि ।। १७५ ॥ कल्ला कविसं मज्जे, कलि-कल्लोला विवक्खम्मि । कच्चं कोडुंब कज्जे, कस्सो कच्छरो य पंकम्मि ॥ १७६ ॥ कवयं भूमिच्छत्ते, णालियवल्लीइ य कलंबू । उवसप्पियम्मि कमिओ, कीडीभेए करोडी य ॥ १७७॥ कयलं अलिजरे, कंदलं कवाले, छुरीइ कट्टारी । कसरो अहमबइल्ले, कंटाली रिंगणीए य ॥ १७८॥ कउहं णिच्चे, कणई लयाइ, कलहं च पडियारे। कक्किंडम्मि करेडू, कवास-कविसा य अद्धजंघाए ॥१७९ ॥ किंसारुयम्मि कणिसं, कसिया कसई अरण्णचारिफले। कविलो साणे, करमो जीणे, कडसी मसाणम्मि ॥१८० ॥ कंटोलं कंकोडं, करणी रूवे, करीसए कउलं । अयदव्वीइ कडच्छू, पहिय-गुहासुं च कंपड-कफाडा ॥ १८१ ।। कमणी णिस्सेणीए, सुक्कतजाए करंजो य। कज्झालं सेवाले, मालिय-वंसेसु कम्हिय-कलंका ॥१८२ ॥ कविडं च पच्छिमंगणं, उप्पलए कलिम-कंदोट्टा। कल्होडो वच्छयरे, बगम्मि कंडूर-काउल्ला ॥ १८३॥ णालियरम्मि कडारं, वंसंकुरए करिल्लं च । कव्वाडो दाहिणए हत्थे, चोरम्मि कलम-कुसुमाला ॥१८४ ॥ पुंजे कयार-कज्जव-कतवारा, कक्खडो पीणे। तह य कलिंज-किलिंचा लहुदारू, कच्छुरी वि कविकच्छू।। १८५ ॥ 354 For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438