Book Title: Shastra Sandeshmala Part 24
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

View full book text
Previous | Next

Page 393
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ ४२५ ॥ ॥ ४२७॥ ॥ ४२८॥ भल्लायए थउड्डं, वीसामे थत्तियं चेय। चंचूइ थग्गया, थवइल्लो दीहउरुजुअलउवविट्ठो थरहरियं कम्पिअए, घणम्मि थारो, थिरे थिमियं । थिरणामो चलचित्ते, दरिए थुण्णो अ, वट्टिए थुल्लो ॥४२६ ॥ थुलमो दूसे, थुक्कियं उण्णयए, थुड्डहीरं अवि चमरे । थुरुणुल्लणयं सेज्जा, वाययभंडम्मि थूरी य थूणो तुरए, कोलम्मि थूलघोणो य, बिंदूए थेवो। थेरो के थेरासण-थेवरिया पउम-जम्मतूरेसु कमपिहुवढे थोरो, बलम्मि थोहं च, खोलए थोलो। ठाण-उण्ड-पिहुसु थाहो, निण्णेहदयदरिएसु थिण्णो वि ॥ ४२९ ॥ भयरहिय-णिब्भरेसुं बद्धसिरक्के य थिरसीसो। दरकुवियवयणसंकोयण-मोणेसुं थुडुकियं चेय ॥ ४३०॥ पासायसिहर-बप्पीहएसु रप्फे तहा थूहो। थेणिल्लियं हरिय-भएसु, रजग-मूलएसु थोवो वि ॥४३१॥ दरं अद्धे, दयं अंबू, दंतो कडए दवो य गग्गरए। दच्छं तिक्खे, सुत्तकणयम्मि दंडी दसेरो य ॥ ४३२ ॥ सोयम्मि दसू, दअरी सुराइ, दमओ दरिद्दम्मि। दत्थर-दक्खज्जा करसाडय-गिद्धेसु, दंतिओ ससए ॥४३३ ।। दवर-दहिट्ठा तंतु-कविढेसु, दइय-दयाइया आविए । दडवड-दहिउप्फ-दयावणा य धाडि-णवणीअ-दीणेसु ॥ ४३४ ॥ दवहुत्तं गिम्हमुहम्मि, दहित्थारो दहिसरम्मि। दहवोल्ली थालीए, दरवल्ल-दयच्छरा य गामेसे ॥ ४३५ ॥ णिबिडम्मि दरुम्मिल्लं, दरमत्त-दरंदरा हढ-उल्लासा । दरवल्लहो य दइए, दरवल्लणिहेलणं च सुण्णघरे ॥ ४३६॥ 349 For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438