Book Title: Shastra Sandeshmala Part 24
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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॥ ४५२ ।।
॥ ४५४॥
दोवेली सायंभोयणम्मि, तह दोणओ य आउत्ते । जुण्हाइ दोसिणी, कडियडम्मि दोहासलं चेअ ॥ ४४९ ॥ दोसाणियं च विमलीकयम्मि, दोणकिया सरहा। दोसाकरणं कोचे, दोसणिजंतो य चंदम्मि
॥ ४५० ॥ दलियं णिकूणियच्छे दारुम्मि य अंगुलीए अ। दोह-विरलेसु दरविंदरं च, पसव-णयणेसु दामणिया ॥ ४५१ ॥ उद्देहि-वाहहरिणीसु दीविया, दुह-कडीसु दुग्गं च । जहणट्ठियम्मि वत्थे जहणे वि अ दुण्णिअत्थं च दुच्चंबालो कलही दुच्चरिओ फरुसवयणो य । णेहट्ठावणभंडे तुंबीए तह य दुद्धिणिया
|| ४५३॥ दुच्चंडिओ य दुल्ललियम्मि तहा दुब्वियड्ढम्मि । दुप्परियल्लं असक्के दुउणम्मि तहा अणब्भसिए दूणावेढं असक्के सरे य, दोसो अद्ध-कोवेसु । दोहणहारी पाणिअहारीए पारिहारिणीए अ
॥ ४५५ ॥ धर-धव्वा तूल-रया, भमरे धंग-धुयगाय-धूमंगा। धय-धंधा नर-लज्जा, धवलो जच्चोत्तमे, घरे धयणं ॥४५६ ।। धणिय-धरग्गा दढ-कप्पासेसु, पिहुम्मि धसल-धुत्ता य। धणिया पियाइ, धण्णाउसो कहिज्जंतआसीसे ॥४५७ ।। धंसाडिओ ववगए, हंसे धवलसउणो, लहुं धारं। धारा आजिमुहे, धाडी इ णिरसिए, धाडिओ अ आरामे ॥ ४५८ ।। फलभेए धाणूरियं इंदाणी धुंधुमारा य।। धुक्कुद्धय-धुकुद्धगिया उल्लसिए, गजे धूणो ॥ ४५९ ॥ णीहारे धूमरि-धूमियाउ धूमसिह-धूममहिसीओ। धूलीवट्टो तुरए, धूमदारं गवक्खम्मि
॥ ४६०॥
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