Book Title: Shastra Sandeshmala Part 24
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 399
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पंथुच्छुहणी जा सासुराउ आणिज्जए वहू पढमं । पच्चुच्छुहणी पढमसुरा, गुज्झहरे पलोट्टजीहो य ॥ ४९७॥ पयलायभत्त-परियट्टलिया मोर-परिछिण्णेसु । कलकलिए पत्थरभल्लियं, पडिणियंसणं च णिसिवत्थे ॥ ४९८ ॥ परिहारइत्तिया रिउमईइ, चुलाइ पासि पिच्छीओ। पारी दोहणभंडे, पाओ चक्के, दिसाइ पाली य ॥ ४९९ ॥ पावो सप्पे, सवचे पाणो पाणाअओ य पुणई य। णयणम्मि पायलं, पाउयं हिमे, पारयं सुराभंडे ॥ ५०० ॥ पाडुकी वणिसिबियाइ, पाइयं तुंडवित्थारे । पाणद्धी रच्छाए, पाडुच्ची तुरयमंडणए ॥५०१॥ पायडं अंगणए, तह पामद्दा पायधण्णमलणम्मि। हत्थजुयलप्पहारे पाणाली, पाहुणं च विक्केज्जे ॥५०२ ॥ पारंकं सुरमाणयभंडे, मग्गीकयम्मि पाउक्कं । पाउग्गो सब्भे, पासणिओ पासाणिओ य सक्खिम्मि ॥५०३ ।। पाउग्गिओ य सहिए, खलीणजुत्ताइ पाडिसिरा । पाडुहुओ पडिहूए, मालाए पारिहत्थी य पाउरणी कवचे, पासावय-पारावरा गवक्खम्मि। जो पिउहरा पइहरं णेइ बहुं पाडिअज्झो सो ॥ ५०५ ॥ णायव्वा वीसामम्मि पाडिअग्गो य पारुअग्गो य । पारंपरो णिसिअरम्मि, पारुअल्लो पहुंकम्मि ॥५०६॥ पालीहम्मं च वई, मालीकयं आहु पारुहल्लं च । पालीबंधो य सरे, पायप्पहणो य कुक्कुडए पाडलसउणो हंसे, पिण्ही खामा, जले पिब्बं । पिंचू पिक्ककरीरे, पिल्हं लहुपक्खिरूअम्मि ॥५०८॥ ॥ ५०४॥ ॥ ५०७॥ ૩૯૨ For Private And Personal Use Only

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