Book Title: Shastra Sandeshmala Part 24
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

View full book text
Previous | Next

Page 417
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥७०८॥ ॥ ७०९ ॥ ॥ ७१० ॥ ॥ ७११ ॥ ॥ ७१२ ॥ संगा संडी वग्गा, संपा कंची, सरा माला । संखो बंदी, सरली चीरीइ, सरत्ति सहसत्थे सज्जोक्कं पच्चग्गे, सउणं रूढे, पसूणए सढयं । सलली सेवा, सभरो गिद्धे, सद्धाइ सगयं च सत्थर-संगोल्ली संगेल्ला णिअरम्मि, संगहो मोब्भे । सत्तल्ली सेहाली, पसवजरा संभवो, सुरा सविसं सण्णियं ओल्ले, दप्पोद्धरे सराहो, दिए सवासो य। संफाली पंतीइ, सयग्घि-सइत्ता घरट्टि-मुइएसु संणेज्झो जक्खे, सव्वला कुसी, संवरम्मि संखालो। संकर-साहीओ रच्छाए, णियडे सगेदं च संखलि-संदेवा संखपत्त-सीमासु, संगयं मढे। सेणम्मि सवाओ, संघाडी जुयले खलम्मि संभुल्लो असुयंधि संधियं, सउली चिल्ला, वइअरम्मि संघोडी। संपण्ण-संपणा घयउरत्थगोहूमपिट्ठम्मेि संजद्धं सप्फंदे सच्छह-सरिसाहुला सरिसे। संभलि-सण्हाई-सहउत्थिय-सुहउत्थिआउ दूईए सत्तत्थो अहिजाए, पडिवेसियए सइज्झो य।। संजत्थो कुविए, सद्दालं सिंदीर-सिंखला णिउरे सयढा लंबकचा, संपत्थिय-सयराहया सिग्घे । संपासंगं दीहे, सलहत्थो दव्वियाइहत्थम्मि सप्पे सराहओ संवेल्लिय-संवट्टिआ य संवरिए । सरिवाओ सीहरओ आसारे, पेरिए सउलियं च ॥ ७१३ ॥ ॥ ७१४ ॥ ॥७१५ ।। ॥ ७१६॥ ।। ७१७ ॥ ॥ ७१८ ॥ ४१० For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438