Book Title: Shastra Sandeshmala Part 24
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 404
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ ५६०॥ बुक्कासारो भीरू, बुलंबुला बुब्बुए चेअ । बेली थूणा, बेडो तरीइ, मंसुम्मि बेड्ड - बोड्डरया ॥५५७ ॥ धम्मिट्ठयम्मि बोडो, बोव्वं खेत्तम्मि, चूचुए बोंडं. । छागम्मि बोक्कडो, बोदरं पिहू, पवहणम्मि बोहित्थो ॥५५८ ॥ संमज्जणीइ बोहारी, बोहहरो अ मागहए। बहुणो चोरे धुत्ते अ, सुहय-पणसेसु बाणो अ ॥ ५५९॥ बिबोवणयं खोहे, विकार-ऊसीसएसुं च।। चुम्बिअ-किडीसु बुंदी, बुंदीरो महिस-गरुएसु रूव-मुह-तणुसु बोंदी, भूसिअ-आडोवएसु बोंगिल्लो । भल्लू रिच्छे, भग्गं लित्ते, भंभी अ असईए ॥ ५६१॥ भंभा भेरी, भव्वो बहिणीतणए, वइङ्गणे भंटं। भंडं मुण्डणए; भई आमलयम्मि, भट्टिओ कण्हे ॥५६२ ॥ बरुअम्मि भमासो, भल्लुकी भसुआ भुरुंडिआ य सिवा। पखलन्तम्मि भलंतं, कलह-आवत्तेसु भंडण-भममुहा ॥ ५६३ ॥ भद्दाकरि-भद्दसिरी दीह-मलयजा, भरोच्छयं तालं । भयवग्गामो मोढेरयम्मि, जे?बहिणीवई भाओ ॥ ५६४ ॥ भासल-भाविअ-भाउज्जा दित्त-गहिअय-भाउजायासु। भासुंडी णीसरणे, भाउअं आसाढगोरिऊसवए ॥५६५ ॥ भायल-भासिअ-भाइल्ला जच्चतुरंग-दिण्ण-हलिएसु । भावइआ धम्मिअगेहिणीइ, भिंगं च कसिणम्मि ॥५६६ ॥ भिसिआ बिसी, भिसंतं अणत्थे, चीरीइ भिंगारी। बारम्मि भित्तरं, टङ्कच्छिण्णे भित्तिरूवं च ॥५६७॥ भुज्जे भुअं, छुहाए भुक्खा, कोलम्मि भुंड-धुंडीरा । भुत्तूणो भिच्चे, भुरुहुंडिअं उद्धूलिए चेअ ॥ ५६८॥ 30७ For Private And Personal Use Only

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