Book Title: Shastra Sandeshmala Part 24
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
कोट्ठम्मि कोत्थलो, कोमुई तहा पुण्णमासीए । भेएण गामभोत्ता य कोंडिओ, कोउआ करीसग्गी ॥ २२२॥ कोंडल्लू य उलूअम्मि, सिवाए कोविया होइ। कोलित्तं च अलायम्मि, कोइला कट्ठअंगारा
॥ २२३॥ कोलाहलो खगरुए, साविहजंतुम्मि कोंटलिया। कोक्कासियं वियसिए, आपूरिययम्मि कोज्झरियं || २२४॥ कंदो दढ-मत्तेसुं, कंडो दुब्बल-विवण्ण-फेणेसु । कंठो सूअर-सीमासु, कडो झीणे उवरए य
॥ २२५ ॥ णिच्छिद्दे कडिवत्थे दारत्थ-विवक्ख-आसीसु। गहणे वणे कडिल्लं, कम्मंत-घरेसु कव्वालं
॥ २२६ ॥ कंकाल-करालेसु कलेरो, थेव-ओल्ल-बहलेसु। बप्फे य कसव्वं, कग्घाडो अग्घाडे किलाडे य ॥ २२७ ॥ णालियर-काग-उसहेसु करोडो, पिढर-पडहेसु । मुह-हरिणेसु य कमलो, कलओ अज्जुणतरु-सुवण्णयारेसु॥ २२८॥ भिक्खापत्त-असोएसु करकं, वग्घ-लट्टासु। सबले वि य करडो, कमढो मंथणि-पिढर-हलधर-मुहेसु।। २२९ ॥ मूलय-मुसलेसु कडतं, कुसुमुच्चअ-इसूसु कणओ य । गव्विय-णउल-सहीसुं कलिओ, कउअं पहाण-चिंधेसु ॥ २३० ।। चंचु-उत्तंसेसुं कण्णोल्ली, घंट-झसएसु कडुयालो । अल्लय-कय-चित्तिय-कणइण्णेसुं कणइअं चेय ॥ २३१ ॥ पाडलि-पसिद्धएसुं कलयंदी काहलो मिउ-ठगेसु। काय-कलंतर-मेहेसु कालिआ, कायलो पिए काए ॥ २३२ ।। वयकरण-तावियासुं काहल्ली, तणु-घणेसु कालिंबो। कासिय-किण्हा सण्हे वत्थे तह सेयवण्णम्मि ॥२३३॥
356
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438