Book Title: Shakun Shastra
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 40
________________ ३६ शकुनशास्त्रे त्रिदंगी योगी सन्मुख श्रवतो मालुम पके, सन्मुख जो कोइ निक्षुकवतो मालुम पके, सन्मुख जो कोइ गर्दन शब्द करतो थको आवतो मालुम पके, जो कोइ कुतरो पोतानी सन्मुख वने जसवा लागे, सन्मुख जो नोळीयुं श्रावतुं मालुम परे, सन्मुख जो कोइ कुमारिका रोती थकी श्रावती मालुम परे, जो कोइ महिषी ( जेंश ) सन्मुख वती मालुम पके, जो कोइ बकरी अथवा बकरो शब्द करतो थको सन्मुख श्रवतो मालुम पके, जो कोइ सधवा स्त्री अथवा पुरुष पोताना हाथमा अथवा मस्तक पर जमदश्री नरेलुं वासण लइने श्रावतां मालुम परे, जो कोइ सधवा स्त्री पोताना मस्तक पर जळथी रेलुं वास लइने सन्मुख यवती मालुम पके अने ते वासण कस्मात् नीचे पमी जइ तेमांथी जो पाणी ढोळा जाय, जो कोइ सधवा स्त्री अथवा पुरुष खुल्ला मस्तकथी सन्मुख श्रवतां मालुम परे, जो सम्मुख कोइ वांदरो श्रावतो मालुम परें, जो कोइ कुतरी पोतानां बच्चां सहित सन्मुख यवती मालुम पके, जो कोइ पुरुष अथवा सधवा स्त्री पोताना हाथमां अथवा मस्तक पर घृत अथवा तैलथी नरेलुं कं पण वास लइने सन्मुख श्रवतां मालुम पके, सन्मुख जो कोइ स्त्री अथवा पुरुष हाथमां दीपक लइने श्रावतां मालुम पके, जो कोइ सधवा स्त्री वस्त्रथी पोतानुं मुख ढांकीने सन्मुख यवती मालुम पके, जो कोइ पुरुष अथवा सधवा स्त्री पोताना कान खोतरतां अथवा मस्तक पर खरज करतां थकां सन्मुख श्रावतां मालुम पके, जो कोइ उंट सन्मुख श्रवतो मालुम परे, सन्मुख जो मनुष्यनुं Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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