Book Title: Shakun Shastra
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 117
________________ परदेश जवा विगेरे संबंधी शकुन विचार. ११३ तरफ उतरे तोपण शुल थाय , जो पग तरफथी उपर जांग उपर चढे तो घोमानी प्राप्ति थाय ने, जो कंठ सुधी चढे तो वस्त्र श्रने आजूषणनी प्राप्ति थाय ने, जो मस्तक सुधी चढे तो राजमान प्राप्त थाय ने तथा जो शरीर उपर चढे तो वस्त्रनी प्राप्ति थाय ने, मकमीन उपर चढवू शुलकारी तथा नीचे उतरवू अशुनकारी थाय ने. ३० गाम जती वखते कानखजुरानुं माबी बाजु तरफ उतरवु शुन थाय ने तथा जमणी बाजु तरफ उतरतुं तेमज मस्तक अने शरीर उपर चढवं ए अशुन थाय बे. ३१ गाम जती वखते जो हाथी जमणा दांतनी उपर सुंढने राखतो अथवा सुंढने उगळतो सामे श्रावतो देखा जाय तो सुख, लाल अने संतोष थाय रे तथा माबी बाजु तरफ अथवा बीजी को बाजु तरफ सुंढने करेली देखाय तो सामान्य फळ थाय बे, आथी जूदी जातना हाथीनी सामे मळवू ए सारं बे. . ३३ जो घोमो आगळना जमणा पगथी पृथिवीने खोदतो अथवा दांतथी जमणा अंगने खंजवाळतो देखाय तो सर्वे कार्योनी सिद्धि थाय ने, जो मावा पगने पसारतो देखाय तो क्लेश थाय ने तथा जो सामे मळी जाय तो शुनकारी थाय ने. ' ३३ उंटर्नु माबी बाजु तरफ बोलवू सारं , जमणी बाजु तरफ बोल, क्लेशकारी थाय बे. जो सांढणी सामी मळे तो शुल पाय बे. ३४ जो चाखती वखते बळद मावा शींगमाश्री अथवा माबा वाकु०० For Personal and Private Use Only Jain Educationa International www.jainelibrary.org

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