Book Title: Shakun Shastra
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 118
________________ ११४ परदेश जवा विगैरे संबंधी शकुन विचार. पगश्री धरती खोदतो देखाय तो सारं थाय ने अर्थात् तेथी सुख अने लाल थाय ने, जो जमणा अंगथी पृथिवीने खोदतो देखाय तो खराब थाय , जो बळद अने पामो एकग उजा होय एम देखाय तो अशुल थाय ने. एवी दशामां गाम नहीं जवू जोइए, जो जाय तो प्राणनो संदेह रहे , जो बरामा पामतो सांढ सामे देखाय तो सारुं थाय ने. __३५ जो गाय माबी बाजु तरफ शब्द करती अथवा वालमाने सुध पीवामती देखाय तो लाल, सुख अने संतोष थाय बे, तथा जो पापली रातमां गाय बोले तो क्लेश उत्पन्न बाय . ३६ जो गधेमो माबी बाजु तरफ जाय तो सुख श्रने संतोष थाय बे, पळवामे अथवा जमणी बाजु तरफ जाय तो क्लेश. थाय , जो बे गधेमा परस्पर कांधने खंजोळावे अथवा दांतने देखामे अथवा इंजियने तेज करे अथवा माबी बाजु तरफ जाय तो घणो लाल अने सुख थाय , जो गधमा माथाने धुणावे अथवा राखमां श्राळोटे अथवा परस्पर समाश् करता देखाय तो अशुल अने क्लेशकारी थाय ने तथा जो चालती वखते गधेमो माबी बाजु तरफ बोले अने दाखल थती वखते जमणी बाजु तरफ बोले तो शुजकारी थाय ने. ३७ गाम जती वखते वांदरानुं जमणी बाजु तरफ मळवू सारं वे तथा मध्याह्न पनी माबी बाजु तरफ मळवू सारं बे. ३ जो कुतरो जमणी कोख चाटतो देखाय अथवा मोढामां कोइ जदय पदार्थ लीधेलो होय एवी रीते सामे मळे तो सुख, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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