Book Title: Shakun Shastra
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 119
________________ परदेश जवा विगेरे संबंधी शकुनविश्वार. ११५ कार्यसिद्धि ने घणोज लाज थाय बे, वामीमां फळेला छाने फुलेला वृक्षनी नीचे, लीली क्यारीजंमां, लीला तीनक उपर, धारनी इंट उपर तथा धान्यना ढगला उपर जो कुतरो पेशाब करतो देखाय तो मोटो लाम ने सुख थाय बे, जो कुतरो nial बाजु तरफ उतरे अथवा जांग, पेट अने हृदयने पाठळना जमणा पगथी चाटतो अथवा खंजवाळतो देखाय तो मोटो लाज थाय बे, जो कुतरो सुपनी उपर, उखलीनी जमणी बाजु तरफ, श्मशानमां अथवा पथर उपर मूतरतो देखाय तो मोटुं कष्ट उत्पन्न याय बे. बुं शकुन जोड्ने गाम नहीं जनुं जोइए. गाम जती वखते जो कुतरो जंचे बेठो बेठो कान, माधुं हृदय खंजवाळतो अथवा चाटतो देखाय अथवा बे कुतरा खेलता देखाय तो कार्यनी सिद्धि थाय बे तथा जो कुतरो भूमि उपर लोटतो अथवा स्वामीनी साथे लाम करतो खाट उपर बठेलो मालुम परे तो मोटो क्लेश उत्पन्न थाय बे. ३० जो गाम जती वखते मोढामां जक्ष्य पदार्थ सीधेल बिलामी सामी देखाय तो लाज श्रने कुशळ थाय बे, जो बे बिलामी लगती होय अथवा घुर घुर शब्द करी रही होय तो अशुभ थाय बे तथा जो बिलामी रस्तामां मी उतरे तो गाम जवुं नहीं. ४० गाम जती वखते बबुंदरनुं माबी बाजु तरफ होवुं उत्तम बे तथा जमणी बाजु तरफ होवुं खराब बे. ४१ गाम जती वखते जो प्रातःकाळे हरिण जमणी बाजु www.jainelibrary.org Jain Educationa International For Personal and Private Use Only

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