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शकुन विद्यानुं स्वरूप. कल्याण श्रशे, प्रजानी वृद्धि तथा आरोग्यता थशे. आवातनो ए पूरावो ने के तुं स्वप्नमां वृदने देखीश.
३५३-हे पूलनार ! तने वैरीनी अथवा जे कोइए तारी साथे विश्वासघात कों ने तेनी चिंता ने तो आ शकुनथी एम मालुम पमे बे के तारा घणा दिवसो क्लेशमां जशे अने तारी जे चीज चाली ग ने ते पानी नहीं आवे, परंतु थोमा दिवस पनी तारं कल्याण थशे.
३वध हे पूछनार ! तारां सर्वे काम सारां ने, तने जल्दीज मनोवांछित फळ मळशे, तने जे व्यापार तथा लाइबंधनी चिंता ने ते सर्व दूर थशे. या वातनो ए पूरावो ने के तारा माथामां घार्नु चिह्न , तुं उद्यम कर, अवश्य लाल थशे.
११-हे पूछनार ! तारा धननी हानि, शरीरमा रोग अने चित्तनी चंचळता ए त्रणे वात सात वर्षथी चाली रही , जे काम तें अत्यार सुधी कर्यु ने तेमां नुकशान थयां कर्यु बे, परंतु हवे तुं खुशी था, कारण के हवे तारी तकलीफ चाली गइ बे, तुं हवे चिंता कर नहीं, कारण के हवे कल्याण श्रशे, धन, धान्यनी आमदानी थशे तथा सुख थशे...... ___५१५-हे पूलनार ! तारा मनमां स्त्री संबंधी चिंता ने, तारी कांरकम पण लोकोमां दबा रही अने ज्यारे तुं मागे के त्यारे मात्र हा, ना थाय , धनना विषयमां तकरार श्रवामां पण तने लाल देखातो नथी, हजु पण तुं तारा मनमा शुन समय समजी रह्यो बे, परंतु तेमां श्रोमा दिवसनी ढील ने अर्थात् प्रोमा दिवस पनी तारी मतलब सिच थशे.
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