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सप्तमः प्रस्तावः।
वृक्ष उगेलुं होय तेवी नूमि पर घर बांधवाथी जूत आदिक उष्ट सत्त्वोनो उपजव श्राय बे. जे नूमिका पर थाम्रनुं वृक्ष
गेलुं होय तेवी जूमिका पर घर बांधवाथी कुटुंबी रसेंजियना सोलुपी थाय जे. जे नूमिका पर हरीतकीनुं वृक्ष उगेलु होय तेवी जूमि पर घर बांधवाश्री शत्रु तरफथी जय प्राय ने. जे नूमिका पर खर्जुरनुं वृक्ष नगेलुं होय तेवी भूमि पर घर बांधवाथी जंतुनो उपजव थाय . जे नूमिका पर बावळर्नु वृक्ष उगेलुं होय तेवी जूमि पर घर बांधवाथी शूला रोगनी प्राप्ति थाय जे. जे नूमिका पर नाळीयेरनां वृदनी उत्पत्ति श्रयेली होय तेवी नूमि पर घर बांधवाथी कुटुंबनी स्त्रीऊनो नाश थाय बे. जे नूमिका पर इंगुदी नामनां वृक्षनी उत्पत्ति श्रयेली होय तेवी नूमि पर घर बांधवाथी कुटुंबना स्नेहनी वृद्धि थाय जे. जे नूमिका पर तिलर्नु वृक्ष उगेटुं होय तेवी जूमि पर घर बांधवाश्री कुटुंबमां क्लेशनी उत्पत्ति श्राय . जे नूमिका पर कोरमजनुं वृक्ष नगेलुं होय तेवी नूमि पर घर बांधवाथी संताननी उत्पत्ति थती नथी. जे नूमिका पर शतपर्णी नामनुं वृक्ष नगेलुं होय तेवीनूमि पर घर बांधवाथी कुटुंबमां शोकनी उत्पत्ति थाय बे.जे नूमिका पर कुंजक नामर्नु वृक्ष जगेर्बु होय तेवीनूमि पर घर बांधवाथी पोताने वैराग्यनी उत्पत्ति थाय बे. जे नूमिका पर लवंगर्नु वृक्ष उगेलुं होय तेवी नूमि पर घर बांधवाथी कुटुंबचें रोगीष्टपणुंमटी जाय जे.जे नूमिका पर तमालपत्रनुं वृक्ष उगेलु होय तेवीनूमि पर घर बांधवाथी निरंतर सुखनी प्राप्ति थाय . जे नूमिका पर देवदारुनु वृक्ष उगेलुं होय तेवी नूमि पर
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