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सप्तमः प्रस्तावः।
॥ श्रीजिनेंजाय नमः॥ ॥ सप्तमः प्रस्तावः प्रारभ्यते ॥
नवु घर बांधती वेळाए थतां शुभाशुभ शकुनो.
नवं घर बांधवा माटे केवी रीतनी जूमिका जोइए तेनुप्रथम स्वरूप कहे . अर्थात् नूमिका संबंधी गुण दोषना स्वरूपर्नु व्याख्यान करे .
नवीन घर बनाववा माटे जे भूमि पर पीपळो, जंबरो, नागरवट वृक्ष अथवा रायण, वृक्ष उगेलुं होय तेवी नूमि वापरवादी पोतानां संताननो नाश थाय जे. जे नूमि पर श्रांब. लीन वृक्ष उगेलुं होय ते जूमि पर जो पोतानुं नवीन घर बांधवामां आवे तो पोताना अव्यनो नाश थाय जे. जे नूमि पर एरंगनुं वृक्ष उगेलुं होय ते नूमि पर पोतार्नु नवीन घर बांधवाथी कीर्तिनो नाश थाय बे. जे नूमि पर कदंबर्नु वृद उगेलुं होय तेवी नूमि पर घर बांधवाथी राज्य तरफनो जय श्राय . जे नूमि पर कदलीनुं वृक्ष जगेलुं होय तेवी जूमि पर घर बांधवाथी कुटुंबनो क्ष्य थाय . जे नूमि पर वर्षाकाळमां सतावरीना बगेम उगता होय तेवी नूमि पर घर बांधवाथी संताननी वृद्धि थाय जे. जे नूमि पर कंधेरनुं वृक्ष जगेलुं होय तेवी नूमि पर नवु घर बांधवाश्री शत्रुनो नाश थाय वे. जे नूमि पर निबंध वृक्ष उगेलुं होय तेवी नूमि पर घर बांधवाश्री पोताना कुटुंबनी आरोग्यतानी वृद्धि श्राय जे. जे जूमि पर सरमानुं वृक्ष उगेलुं होय तेवी नूमि पर घर बांध
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