Book Title: Shakun Shastra
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 10
________________ . शकुनशाने पर पसे तो ते संतान की विरक्त थाय जे. मातानी दृष्टि जो पोपट पर पझे तो ते संतानने पांगु रोगनी उत्पत्ति थाय जे. मातानी दृष्टि जो समुझ पर पमती होय तो ते संतान अत्यंत क्रोधी स्वजाववाढु थाय बे. मातानी दृष्टि जो कोई गरुक पक्षी पर पमे तो ते संतान आकाशगामी विद्यामां कुशळ थाय . मातानी दृष्टि जो पोताना स्वामी पर पमे तो ते संतान मात पितानो नाश करनारुं थाय . मातानी दृष्टि जो गईल पर पमे तो ते संतान महा दरिषी थाय . मातानी दृष्टि जो कोई शंख पर पमे तो ते महा कीर्तिवंत थाय . मातानी दृष्टि जो वींचा जाय तो ते संतानने नेत्ररोग थाय . पुत्रनो जन्म जो पूनमने दिवसे थाय तोते लदमी तथा कीर्तिनो नाश करनारो थाय , पण ते दिवसे जो मध्याह्नकाळे अथवा मध्य रात्रिए पुत्रनो जन्म थाय तोते लदमीनी वृद्धि करे . वळी पुत्रीनो जन्म जो पूर्णिमाने दिवसे थाय तो ते पोतानांमात पिताने चिंता उत्पन्न करे . वळी पुत्र अथवा पुत्रीनो जन्म जो अष्टमीने दिवसे थाय अने ते दिवसे जो शुक्रवार होय तो ते पुत्र अथवा पुत्री पोतानां मात पिताने राज्य तरफनो जय उपजावे वे. वळी जे संताननो जन्म शुक्ल पक्षनी चतुर्थीने दिवसे थाय तथा मातानी दृष्टि ते दिवसे प्रसव श्रया पहेलां अथवा प्रसव थती वखते अथवा प्रसव या पठी पण जोरात्रिए चंड पर पके तो ते संतान प्रव्य, कीर्ति अने कुटुंबना माणसोनो पण विनाश करनारुं थाय ने, केमके कोई पण स्त्री अथवा पुरुषे शुक्ल पक्षनी चतुर्थीना चं तरफ दृष्टि करवी नहीं, केमके व्यवहारकटपमा श्री.हरिजन सूरि महाराजे पण कां ने के: Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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