Book Title: Shakun Shastra Author(s): Shravak Bhimsinh Manek Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 9
________________ प्रथमः प्रस्तावः। तेनी माता गांमी थाय बे. मातानी दृष्टि को वृक्ष पर पमे तोते संतानने जगंदर आदि असाध्य रोगनी उत्पत्ति थाय ले. मातानी दृष्टि को पुस्तक पर पोतो ते संतान महा वैराग्यवाळु थाय . मातानी दृष्टि जो कोश् अश्व पर पझेतो ते संतान वामन श्राकारनुं थाय जे. मातानी दृष्टि जोजळथी नरेला कोश् वासण पर पके तो आगामी काळमां ते संतान- जळमां मुबवाथी मृत्यु थाय बे. मातानी दृष्टि जो वहाण पर पमे तो ते संतानने आगामी काळमां जळपर्यटन करवू पमे. मातानी दृष्टि जो साकरथी नरेला कोई वासण पर पझेतो ते संतान वायुना रोगथी पीमित थाय . मातानी दृष्टि जो गोळथी जरेला कोई वासण पर पझेतो ते संतान महा लाग्यशाळी थाय . मातानी दृष्टि जो कोनिक्कुक स्त्री पर पझे तोते संतान महा दानेश्वरी थाय . मातानी दृष्टि जो कोश नोलीश्रा पर पमे तोते संतान कुटुंब- प्रोही थाय बे. मातानी दृष्टि जो ऽधथी नरेला वासण पर पझेतो ते संतान अत्यंत कामविकारी थाय . मातानी दृष्टि जोको बीजी स्त्रीनी योनि पर पोतो ते संतान नपुंसक थाय . मातानी दृष्टि जो कोइ हिंसक पशु पर अथवा तेवा पशुना चित्र पर पड़े तो ते संतानतुं तथा तेनी माता, पण पंदर दिवसनी अंदरज मृत्यु नीपजे . मातानी दृष्टि जो कोश् स्त्रीना खुला रहेला केश पर पझेतो ते संतान नूत आदिकथी उपजव पामे . मातानी दृष्टि जो कोश् स्त्रीनां खुल्ला रहेलां स्तन पर पड़े तोते संतानतुं एक मासनी अंदर मृत्यु नीपजे .मातानी दृष्टि जो कोइ सिक्का पर पमे तो ते संताननुं वीजळीना पमवाथी मृत्यु थाय . मातानी दृष्टि जो कोइ देवालय Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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