Book Title: Shakun Shastra
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

View full book text
Previous | Next

Page 8
________________ ४ शकुनशास्त्रे थाय बे. माताने जो घोमानो हेषारव संजळाय तो ते संतानने राज्यलक्ष्मी मळे बे. जो माताने मेघनी गर्जनानो शब्द संजळाय तो ते संतान बधिर थाय बे. जो शनो शब्द संजकाय तो ते संतान कुल ( कुबरुं ) थाय बे. माताने जो कुतराना जसवानो शब्द संजळाय तो ते संतान बहुबोलुं थाय बे. माताने जो अकस्मात् कोइ कविता संजळाय तो ते संतान महाकविधाय बे. माताने जो त्यां कोइ धातुनुं वासण पकवानो शब्द संजळाय तो ते संताननुं ब मासनी अंदर मृत्यु थाय बे. माताने जो शियाळनो शब्द संजळाय तो ते संतानथी मात पिताने बहु आपदा सहन करवी पके बे. • प्रसव थती वेळा मातानी दृष्टि जो शेलमीना सांग पर पके तो ते संतान उत्तम गुणोने धारण करनारुं थाय बे. मातानी दृष्टि जो पुष्पनी माळा पर पके तो ते संताननुं आठ दिवसनी अंदर सर्पना दंशथी मृत्यु थाय बे. मातानी दृष्टि जो सांबेला पर पके तो ते संतान नपुंसक थाय बे. मातानी दृष्टि जो खांणी पर पके तो ते संतान अर्शना रोगथी पीमित थाय छे. मातानी दृष्टि जो घृतना दीपक पर पके तो ते संतान महा तेजस्वी थाय बे. मातानी दृष्टि जो सूर्य सन्मुख परे तो ते संतानने चक्षुरोग थाय बे. मातानी दृष्टि चंद्र तरफ पमे तो ते संताननी खो तेजस्वी थाय .बे. मातानी दृष्टि जो तारा उपर पके तो ते संतानने कुष्ठनो रोग थाय बे. मातानी दृष्टि जो मोदक पर पके तो ते संताननुं दुधाथी मृत्यु थाय बे. वळी ते समये जो सूर्यग्रहण अथवा चंद्रग्रहण यतुं होय अथवा थयेलुं होय तो ते संतान गांगुं थाय वे अथवा www.jainelibrary.org Jain Educationa International For Personal and Private Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 ... 120