Book Title: Shabdamala
Author(s): Muktichandravijay, Munichandravijay
Publisher: Shantijin Aradhak Mandal
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अभिधानचिन्तामणिनाममाला . ३१० शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ व्यत्यास पुं १५०२ विपरीत, उल्टुं व्याकुल पुं ३६६ व्याकुल, गभरायेलो व्ययक पुं ५०१ पीडनार | व्याकोश न. ११२७ खीलेलं (पुष्प) व्यथा स्त्री १३७० दुःख, पीडा | व्याख्याप्रज्ञप्ति पुं २४३ (शि. १६) पांचमुं व्या पुं १५२३ वींध,
___अंग सूत्र, भगवती सूत्र जिनागम व्यय पुं ९८४ कुमार्ग, खराब रस्तो : | व्यान पुं १२८५ वाघ व्यन्तर पुं ९१ व्यंतर देव . | व्याघ्र पुं १४४० व्याघ्र वगेरे शब्दो उत्तर व्यपदेश पुं ३७८ छळ, कपट पदमां लगाडवाथी प्रशंसावाचक शब्दो बने व्यभिचारिन ३२६ दुराचारी, चारित्रप्रष्ट | छे. जेमके पुरुषव्याघ्र (व्यभिचारिन्) पुं २९५ संचारी भाव। |'व्यायपुच्छ' पुं ११५० एरंडो व्यय पुं १५१६ द्रव्यनो व्यय | व्याघाट पुं १३४० भारद्वाज पक्षी व्यलीक न. ३७९ ठग
व्याधी स्त्री ११५७ बेठी भोयरींगणी व्यलीक पुं न. ७४४ अपराध व्याज पुं ३७८ छल, कपट व्यवच्छेद पुं ७८० धनुष्यमांथी
| व्याड पुं १२२२ (शि. ११०) खराब हाथी बाण- छोडवू 'व्याड' पुं १३०३ सर्प व्यवधा स्त्री १४७७ अंतर्धान, ढांकण | व्याडि पु. ८५२ व्याडि मुनि व्यवधान न. १४७८ अंतर्धान, ढांकण । व्यादीणांस्य पुं १२८५ (शे. १८५) सिंह व्यवहार पुं २६२ लेण देण संबंधी व्यवहार | व्याप पुं ९२७ शिकारी व्यवहार पुं ७८२ (शे. १४४) तलवार |व्याधाम पुं १८१ इन्द्रनुं वज व्यवाय पुं ५३८ मैथुन, कामक्रीडा | व्याधि पुं ३१२ मानसिक पीडा व्यवाय पुं १५०९ अंतराय, विघ्न व्याधि पुं ४६२ रोग व्यसनावारक पुं ७१३ कुमारपाळ राजा |'व्यापिघात' पुं ११४० गरमाळो व्यसनससक न. ७३९ शिकार वगेरे व्याधित पुं ४५९ रोगी
सात व्यसनो | व्याधिस्थान न. ५६४ (शे. ११८) शरीर व्यसनात पुं ३८१ व्यसनथी पीडायेल व्यान पुं ११०९ संपूर्ण शरीरमां संचार व्यसनिन् पुं ४३५ द्यूतादिकनो व्यसनी
करनार पवन व्याकरण पुं २५० वेदना ६ अंग पैकी व्यापन पुं.३७४ मृत्यु पामेल त्रीचं अंग
| व्यापाद पुं १३७२ द्रोह चितववो

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