Book Title: Shabdamala
Author(s): Muktichandravijay, Munichandravijay
Publisher: Shantijin Aradhak Mandal
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'शब्दमाला . ३५७ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ (सौवर्ण) पुं६५६ कुंडल
स्कन्धिक पुं १२५८ सारा स्कंधवाळो बळद सौवस्तिक पुं ७२१ पुरोहित स्कन्धिन् पुं १११४ वृक्ष सौविद पुं ७२७ अन्तःपुरनो रक्षक स्कन्न न. १४९१ पडी गयेल, गळेलं सौविदाल पुं ७२७ अन्तःपुरनो रक्षक स्खलन न. १५२२ भूल सौवार न. ४१६ राब, कांजी . स्खलित न. ८०४ ठगाई सौवीर (ब.व.) पुं ९६० सौवीरदेश स्तन (द्वि.व.) पुं ६०३ स्तन सौवीर न. १०५१ सुरमो
स्तनन्यय पुं ३३८ नानुं बालक सौहार्द न. ७३१ मित्रता
स्तनप पुं ३३८ (शि. २१) नानुं बाळक सौहित्य न. ४२६ तृप्ति
स्तनमुख न. ६०३ स्तन- मुख सौहद् न. ७३० मित्रता
स्तनयित्नु पुं १९४ मेघ स्कन्ध पुं २०८ कातिकेय
स्तनवृन्त न. ६०३ स्तन- मुख स्कन्धमातृ स्त्री २०५ (शे. ५४) पार्वती |स्तनशिखा स्त्री ६०३ स्तन, मुख (स्कन्दिलार्य) पुं ३४ १०मा दशपूर्वी स्तनान्तर न. ६०३ हृदय स्कन्ध पुं ५८८ खभो
स्तनित न. १४०६ मेघनी गर्जना स्कन्ध पुं १११९ शाखा स्त नितकुमार (ब.व.) पुं९० सातमा भवन स्कन्ध पुं १२६४ बळदनी खांध
पतिदेव स्कन्य पुं १४१३ मनुष्य,
| स्तन्य न. ४०४ दूध ..हाथी आदिनो समुदाय स्तबक पुं न. ११२६ नहि खीलेली स्कन्यज (ब.व.) पुं १२०० स्कंधमांथी - कुंपळोनो गुच्छो
उत्पन्न थनार वनस्पति स्तब्धरोमन् पुं १२८८ मुंड स्कन्धमालक पुं १३३४ कंकपक्षी स्तब्धसम्भार पुं १८८ (शे. ३८) राक्षस स्कंधवाहक पुं १२५८ सारा स्कन्धवाळो स्तभ पुं १२७५ बकरो बळद .
स्तम्ब पुं ११२० थड अने शाखा वगरनुं वृक्ष स्कंधशाखा स्त्री १११९ मोटी डाळी स्तम्ब पुं ११८२ धान्यनो छोड स्कन्यशृङ्ग पुं १२८३ (शे. १८४). पाडो | स्तम्बकरि पुं ११६८ धान्य स्कंधावार पुं ७४६ सेना, लश्कर स्तम्बपुर न. ९७९ ताम्रलिप्ती नगरी स्कन्यावार पुं ६७३ राजधानी . (स्तम्बपुरी) स्त्री ९७९ ताम्रलिप्ती नगरी

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