Book Title: Shabdamala
Author(s): Muktichandravijay, Munichandravijay
Publisher: Shantijin Aradhak Mandal

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Page 395
________________ अभिधानचिन्तामणिनाममाला . ३६४ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ स्वोदरपूरक पुं ४२७ खाउधरो, पेटभरो | हनुमत् पुं. ७०५ (शि. ६०) हनुमान हन न. १४९५ मळ, हंगेलु ह अ. १५४२ (शे. २००) पाद पूरनार अव्यय | हम्मा स्त्री १४०६ गायनो शब्द हंस पुं ९६ सूर्य हय पुं १२३३ घोडो हंस पुं १०४३ रू' हयग्रीव पुं २२० विष्णुनो वध्य, अश्वग्रीव हंस (ब.व.) पुं १३२५ हंसपक्षी । (हयग्रीवरिपु) पुं २२१ विष्णु हंस पुं १२३३ (शि. १७९) बोडो हयष पुं १७६ (शे. ३५) इन्द्रनो सारथि हंसक पुं न. ६६६ झांझरे, कल्लु हयप्रिय पुं ११७० जव हंसकालीतनय पुं १२८३ पाडो हियमार पुं ११३७ करेण हंसग पं २१२ ब्रह्मा हयवाहन पुं १०३ सूर्यनो पुत्र हंसपाद पुं १०६१ हिंगळो हर पुं १९८ शंकर हंसाय न. १०४३ रू. हरण न. ५२० लग्न वगेरे प्रसंगे करातो हंसी स्त्री १३२७ हंसली । - चांल्लो (भेटणुं) हंहो अ. १५३७ संबोधन अर्थमा - हे ! | हरबीज न. १०५० पारो हकारक पुं २६१ (शे. ८३) बोलावq |हरशेखरा स्त्री १०८२ गंगा नदी हजे अ. ३३४ दासीने बोलाववानो शब्द | हराद्रि पुं १०२८ (शे. १५९) कैलास पर्वत ह पुं १००२ दुकान, हाट हर पुं९७ सूर्य हट्टाध्यक्ष पुं ७२५ वेपारी पासेथी कर हर पुं १७१ इन्द्र लेवाना काममा निमायेल अधिकारी | हरि पुं १८४ यमराज ल पुं८०४ बलात्कार हरि पुं २१४ विष्णु छु न. ६२६ (शि. ४८) हाडकुं हर पुं ११७२ मग हण्डे अ. ३३४ नीच सखीने हरि पुं १२३३ घोडो बोलाववानो शब्द हर पुं १२८३ सिंह हत धु ४३९ निराश थयेल हर पुं १२९२ वानरें हनु पुं स्त्री ५८३ हडपची हर पुं १३५४ देडको हनुमत् पुं ७०५ हनुमान हरि पुं १३९६ लालमिश्रित पीळो वर्ण हनुष पुं १८८ (शे. ३८) राक्षस हर पुं १३०४ सर्प, नाग

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