Book Title: Shabdamala
Author(s): Muktichandravijay, Munichandravijay
Publisher: Shantijin Aradhak Mandal

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Page 377
________________ अभिधानचिन्तामणिनाममाला .३४६ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ |शब्द / लिंग / श्लोक। अर्थ सायक पुं ७८२ (शे. १४४) तरवार | सार्धम् अ. १५२७ साथे सायम् न. १४० सन्ध्याकाळ | (सापिष) पुं १०७५ सात पैकी सायम् अ. १५३१ सांजे चोथो समुद्र .सार न. १९१ धन सार्पिष्क न. ४१० घीथी संस्कारित द्रव्य सार पुं ६२६ हाडकुं सापी स्त्री १११ अश्लेषा नक्षत्र सार पुं ११२१ वृक्षादिनुं सत्त्व-गर्भ सार्व पुं २५ अरिहंत, जिनेश्वर सारङ्ग पुं १२९३ हरण सार्वभौम पुं १७० आठ पैकी ७मा दिग्गज सारङ्ग पुं १३२९ चातक पक्षी . सार्वभौम पुं ६९१ चक्रवर्ती, सम्राट सारण न. ४०९ (शे. १००) पा भागना | साल पुं ९८० कोट, किल्लो पाणीवाळु दहीं | साल पुं १११४ वृक्ष, झाड सारणि स्त्री १०८९ नीक-पाणीनी खाई साल पुं न. ११३८ डामरतुं झाड (सारणी) स्त्री १०८९ नीक-पाणीनी खाई | सालभजी स्त्री १०१४ पूतळी (काष्ठ दांत सारथि पुं ७६० सारथि वगेरेमांथी बनावेली) सारमेय पुं १२७९ कुतरों सालवाहन ७१२ (शि. ६१) सालिवाहन सारस पुं १३२८ सारस पक्षी राजा सारसन पुं न. ६६४ कंदोरो सालवेष्ट पुं६४७ राळ . सारसन न. ७६७ कमरपटो साला स्त्री १११९ मोटी डाळी सारसी स्त्री १३२९ सारसी सालातुरीय पुं ८५१ पाणिनि मुनि सारस्वत पुं ८१५ बीलुनो दंड . (व्याकरणकार) सारस्वत (ब.व.) पुं ९५८ काश्मीर देश | 'सालूर' पुं १३५४ देडको सारिका स्त्री २९० (शे. ८४) चांडालनी वीणा | साल्व पुं २२० विष्णुनो शत्रु 'सारिका' स्त्री १३३६ मेना साल्व (ब.व.) पुं ९५७ साल्व देश 'सारोष्ट्रिक' पुं ११९६ स्थावर विष । |(साल्वारि) पुं २२१ विष्णु, नारायण सार्थ पुं १४१२ सजातीय प्राणीओनो | सावित्र पुं ८१३ ब्राह्मंण समुदाय सावित्री स्त्री ५९३ मध्यमा अने कनिष्ठानी सार्थवाह पुं ८६८ वेपारी वचली आंगळी साई पुं १४९२ भीनुं | सावित्री स्त्री २०५ (शे. ५५) पार्वती

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