Book Title: Shabdamala
Author(s): Muktichandravijay, Munichandravijay
Publisher: Shantijin Aradhak Mandal

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Page 373
________________ Wikilitiitliiilllliiti hii सवावधा . अभिधानचिन्तामणिनाममाला . ३४२ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ शब्द / लिंग./ श्लोक / अर्थ सर्पभुज् पुं १३१९ मोर .. सर्वभक्षा स्त्री १२७५ बकरी . सर्पराज पुं १३०८ वासुकी नाग। सर्वमङ्गला स्त्री २०४ पार्वती (सर्पवल्ली) स्त्री ११५५ नागरवेल | सर्वमूषक पुं १२६ काळ, समय सर्पहन् पुं १३०२ नोळियो सर्वरत्नक पुं १९६ नवनिधि पैकी चोथो निधि साराति पुं २३१ गरुड पक्षी सर्वरस पुं ६४७ राळ. सर्पिष् न. ४०७ घी सर्वरस पं १३८९ खारु, खारो रस सर्व न. १४३३ समस्त, बधुं . सर्वरसाग्र न. ३९६ मंड, भात, ओसामण सर्वसहा स्त्री ९३७ पृथ्वी सर्वतुं पुं १५९ (शे. २६) वरस सर्वकेशिन् पुं ३२८ नट सर्वला स्त्री ७८७ रवैयाना आकार- शस्त्र सर्वग्रन्थिक न. ४२१ पीपळामूळ सर्वलौह पुं ७७९ लोढा, बाण सर्वज्ञ पुं २५ तीर्थकर, अरिहंत सर्वविद्या स्त्री २५८ आन्वीक्षिकी वगेरे सर्वज्ञ पुं १९८ शंकर, महादेव सर्वविद्या सर्वतस् अ. १५२९ चोमेर, चारेबाजु | सर्ववेदस् पुं ८१९ पोतानुं सर्वस्व आपी (सर्वतोभद्र) पुं ९४ चोथा ग्रैवेयक देव | । याग (यज्ञ) करनार (सर्वतोभद्र) पुं १०१५ स्वस्तिक । सर्वसनहन न. ७८८ चतुरंग सेनानु प्रयाण (सर्वतोभद्र) पुं ११३९ लीबडो | सर्वानुभूति पुं ५१ गई उत्सर्पिणीना (सर्वतोभद्रा) स्त्री ११४३ सीवणर्नु वृक्ष छठा भगवान सर्वतोमुख न. १०७० पाणी सर्वानुभूति पुं.५४ आवती चोवीशीना सर्वदमन पुं ७०२ भरत, दुष्यन्तनो पुत्र पांचमा भगवान सर्वदर्शिन् पुं २५ तीर्थंकर, अरिहंत | सर्वान्नभक्षक पुं ४२८ बधु खाई जनार सर्वदा अ. १५३१ (शे. १३७) हमेशा, सर्वान्नीन पुं ४२८ बधुं खाई जनार सर्वदा सर्वाभिसार पुं ७८८ चतुरंग सेनानुं प्रयाण सर्वदुःखक्षय पुं ७५ मोक्ष | सर्वार्थसिद्ध पुं २३७ शाक्यसिंह सर्वधन्विन् पुं २२८ (शे. ७६) कामदेव (सात पैकी एक बुद्ध)नुं नाम सर्वधुरीण पुं १२६१ बधी जातनी धुरा वहन (सर्वार्थसिद्ध) पुं ९४ पांचमा अनुत्तरदेव करनार बळद सर्वास्त्रमहाज्वाला स्त्री २४० ११मी सर्वदम पुं ७०२ दुष्यन्तनो पुत्र भरत । विद्यादेवी

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