Book Title: Satya Darshan
Author(s): Amarmuni, Vijaymuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 188
________________ सत्य दर्शन/१७७ बुड्ढे और बुढ़िया ने जवाब दिया-हम खुदा की कसम खाकर कहते हैं कि यहाँ कोई हिन्दू औरतें नहीं हैं। हमलावर सहज ही मानने वाले नहीं थे। उन्होंने धमकी देते हुए कहा-देखो, अपनी जान जोखिम में मत डालो । बता दो, तुम्हारे घर में वे छिपी हैं। बुड्ढा उस समय कुरान का स्वाध्याय कर रहा था। उसने कुरान हाथ में लेकर कहा-देखो, हमारे लिए कुरान से बढ़कर तो और कोई नहीं है, मैं इसे उठाकर कहता हूँ कि यहाँ कोई हिन्दू औरतें नहीं हैं । ___ कहिए, उस बुड्ढे ने कितना बड़ा असत्य बोला? उस असत्य के लिए आपका हृदय क्या कहता है ? बूढ़े की सराहना करता है अथवा अवहेलना करता है ? उसे आप दंड देना चाहेंगे या शाबाशी देना चाहेंगे? उसके लिए जन्नत का दरवाजा खुलेगा या दोजख का ? कुरान उठा कर तो उसने गजब ही कर दिया है। फौज आई और व्यवस्था कायम हो गई, तो उस बूढ़े ने स्त्रियों और लड़कियों को उनके हवाले कर दिया । बूढ़ा और बुढ़िया रोने लगे और कहने लगे कुरान को उठाकर झूठ बोलना पड़ा, यह बड़ा गुनाह हुआ है, फिर भी हमें विश्वास है कि खुदा माफ कर देगा, क्योंकि हम अपने और दूसरे के लिए सच्चे रहे हैं। अगर बूढ़ा सत्य की मृगतृष्णा में पड़कर उन बहिनों और लड़कियों को बता देता, तो आप स्वयं कहते-बूढ़ा बेईमान था, धोखेबाज था, झूठा था। इस रूप में, जैसी अहिंसा की मर्यादाएँ हैं, वैसी ही सत्य की भी मर्यादाएँ हैं। गृहस्थ इन मर्यादाओं के भीतर रह कर ही सत्य का पालन करता है। अपनी स्वार्थ-लिप्सा के लिए बोला जाने वाला, दूसरों को ठग कर धन कमाने के लिए बोला जाने वाला, महल-मकान आदि भोगोपभोग-सामग्री के लिए बोला वाला और परनिन्दा आदि के लिए बोला जाने वाला असत्य ‘स्थूल असत्य है। जिसम विवेक नहीं, करुणा नहीं, प्रशस्त संकल्प नहीं, फिर भी जो मिथ्या वचन बोला जा रहा है, वह स्थूल-मृषावाद की कोटि में आता है। श्रावक इस प्रकार के असत्य का प्रयोग नहीं कर सकता और यदि वह करता है तो अपनी प्रतिज्ञा को भंग करता है। इस प्रकार विवेक के साथ सत्य का पालन किया जाएगा, तो जीवन मंगलमय बन जाएगा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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