Book Title: Saral Vastu
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 19
________________ वराहमिहिर का वास्तु ज्ञानः वराह मिहिर ने चार दिशाओं के अनुसार चतुर्दिशा भूमि पर चारों वर्गों के संदर्भ में विचार किया। परंतु वास्तु शास्त्र में इस वर्गीकरण को, अत्यंत विस्तृत आकार दे कर, 26 प्रकार की भूमियों का नामोल्लेख किया गया है, जिनके नाम और प्रभाव इस प्रकार से हैं : गोवीथी : जो भूमि पश्चिम में ऊंची और पूर्व में नीची हो, उसे गोवीथी कहते हैं। ऐसी भूमि पुत्र संतान की वृद्धि करती है। जलवीथी: जो भूमि पूर्व में ऊंची और पश्चिम में नीची हो, ये उसे जलवीथी कहते हैं। यह भूमि संतान का नाश करती है। यमवीथी: जो भूमि उत्तर में ऊंची और दक्षिण में नीची हो, उसे यमवीथी कहते पश्चिम WwMAREATEDAARATom TETTYFOLLL गोवीथी भूमि पश्चिम जलवीथी भूमि पूर्व हैं। ऐसी भूमि आरोग्य नाश करती है। गणवीथी : जो भूमि दक्षिण में ऊंची और उत्तर में नीची हो, उसे गणवीथी कहते दक्षिण उत्तर + + +3 उत्तर यमवीथी भूमि दक्षिण गणवीथी भूमि 18 http://www.Apnihindi.com


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