Book Title: Saral Vastu
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 24
________________ स्थंडिल वास्तु जो भूमि नैर्ऋत्य कोण में ऊंची हो तथा अग्नि कोण, वायु कोण और ईशान कोण में नीची हो, उसे स्थंडिल वास्तु कहते हैं। यह सभी प्राणियों के लिए शुभ है । शांडु वास्तु : जो भूमि ईशान कोण में ऊंची हो कर, अग्नि कोण, नैर्ऋत्य कोण और वायु कोण में नीची हो, उसे शांडुल वास्तु (भूमि) कहते हैं । यह सभी प्राणियों के लिए अशुभ है। : सुस्थान वास्तु जो भूमि नैर्ऋत्य कोण और ईशान कोण में ऊंची हो कर वायव्य कोण में नीची हो, उसे सुस्थान वास्तु कहते हैं। ऐसी भूमि ब्राह्मणों के लिए अति उत्तम होती है । ई. पूर्व आ. ई. पूर्व उत्तर www. उत्तर वा. नै.om सुतल वास्तु भूमि सुतल वास्तु जो भूमि पूर्व दिशा में नीची हो कर नैर्ऋत्य कोण वायु कोण और पश्चिम में ऊंची हो, उसे सुतल वास्तु कहते हैं। ऐसी भूमि क्षत्रियों के लिए अति उत्तम होती है। ई. प. सुस्थान वास्तु भूमि चर वास्तु : जो भूमि उत्तर दिशा, ईशान कोण और वायु कोण में ऊंची हो कर दक्षिण में नीची हो, उसे चर वास्तु कहते हैं। ऐसी भूमि वैश्यों के लिए अति उत्तम होती है। ई. पूर्व आ. ई. पूर्व आ. पूर्व चर वास्तु भूमि fit आ.ई. 23 आ. पूर्व श्वमुख वास्तु भूमि दक्षिण • आ. http://www.ApniHindi.com

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