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मंगलवार हो, तो उस दिन प्रारंभ किया गया घर अग्नि भय, चोरी एवं पुत्र क्लेश देने वाला होता है। शनेश्चरयुक्त कर्क, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, ज्येष्ठा, अनुराधा, स्वाति और भरणी, इन नक्षत्रों में शनिवार के दिन प्रारंभ किया हुआ घर राक्षसों और भूतों से युक्त रहता है। गृहारंभ के दिन सूर्य निर्बल, अस्त या नीच स्थान में हो, तो घर के स्वामी का मरण होता है। गृह निर्माण के दिन चंद्रमा निर्बल, अस्त, या नीच का हो, तो गृह निर्माण करने वाले की स्त्री का मरण होता है। गृह प्रारंभ के दिन बृहस्पति निर्बल, अस्त या नीच स्थान में हो, तो धन का नाश होता है।
रिक्ता तिथि 4/9/14 को गृहारंभ न करें। • नींव प्रारंभ काल में मिथुन का सूर्य मृत्यु देने वाला होता है और कन्या का सूर्य
रोग भय देता है। • गृहारंभ सिंह लग्न में वर्जित है।Hindi.com • मिथुन, कन्या, धनु और मीन के सूर्य में नवीन गृह का निर्माण न करें। गह प्रवेश निर्माण मुहर्त : मकान, दुकान या कारखाना बनने के बाद गृह प्रवेश पर विचार किया जाता है। पलायमान शत्रु के जीतने पर, नवीन स्त्री के आने पर, विदेश से वापस लौटने पर विद्वान् लोग गृह प्रवेश पर विचार करते हैं। गृह प्रवेश तीन प्रकार का होता है : अपूर्व, सपूर्व और द्वंद । प्रवेश के ये तीन भेद हैं। नये घर में प्रवेश करना अपूर्व प्रवेश होता है। यात्रादि के बाद घर में प्रवेश करना 'सपूर्व कहलाता है। जीर्णोद्धार किये गये मकान में प्रवेश का नाम द्वंद प्रवेश है। इनमें मुख्यतः अपूर्व प्रवेश का विचार यहां विशेष अभीष्ट है। माघ, फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ मास में प्रवेश उत्तम और कार्तिक, मार्गशीर्ष में मध्यम होता
माघफाल्गुन वेशाखज्येष्ठमासेषु शोभनः । प्रवेशो मध्यमो ज्ञेयः सौम्यकार्तिक मासयोः ।।
-नारद
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