Book Title: Saral Jyotish
Author(s): Arunkumar Bansal
Publisher: Akhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh

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Page 69
________________ 16° 40' तक रहता है अगर देखा जाये तो चन्द्र के पुष्य नक्षत्र से निकलने के लिए 7° 40' और भ्रमण करना होगा अर्थात शेष नक्षत्र भोग 460 कला हुआ। नक्षत्र समाप्ति अंश- 3रा 16° 40' नक्षत्र भोगांश- 3रा 9°00' शेष नक्षत्र अंश = 7°40' = 460' कला पुष्य नक्षत्र का स्वामी शनि होता है अर्थात् जन्म समय शनि की दशा रहेगी क्योंकि शनि को 19 वर्ष की अवधि दी है जो एक नक्षत्र मान के बराबर है जो 800 कला है और जितना चक्र का नक्षत्र भोग शेष रह गया अनुरूप दशा शेष रहेगी। 800 कला में शनि की अवधि = 19 वर्ष = 19x460 460' कला = 800 = 10 वर्ष 11 माह 3 दिन नोट:- एफेमेरीज की पिछले पृष्ठों में दी गई विशोतरी दशा भोग्य की तालिका दी गई है उसकी सहायता से भी आप दशा शेष निकाल सकते हैं। अब जो जन्म तारीख दे रखी हो उसमें शेष अवधि जोड़ देने से शेष रही दशा का समाप्ति काल आ जायेगा। उपरान्त क्रम से दशाओं की अवधि को जोड़ते जाएं और दशा का समाप्ति का जान लें। उपरोक्त उदाहरण में जन्म 1.2.1969 का है और शनि की शेष दशा 10 वर्ष 11 मास 3 दिन शेष रही है इसलिए मैं जन्म तारीख शनि के शेष वर्ष जोड़ दें। वर्ष मास दिन जन्म तारीख = 1969 02 01 शनि दशा शेष वर्ष = 10. 11. 03 शनि दशा समाप्ति काल = 1980 01. बुध दशा अवधि = 17 00. 00 क्रम से समाप्ति काल 1997 01. केतु दशा अवधि = 07. 0000 69

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