Book Title: Saral Jyotish
Author(s): Arunkumar Bansal
Publisher: Akhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh

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Page 102
________________ 3. तृतीयभाव में गुरु हो तो जातक शास्त्रज्ञ, जितेन्द्रिय, लेखक, कामी, प्रवासी, स्त्रीप्रिय, व्यवसायी, मन्दाग्नि, वाहनयुक्त, पर्यटनशील, विदेशप्रिय, ऐश्वर्यवान बहुत भाई बहन, आस्तिक एवं योगी होता है। 4. चतुर्थभाव में गुरु हो तो जातक शौकीन मिजाज, सुन्दरदेही, आरामतलब, परिश्रमी, ज्योतिषी, उच्चशिक्षा प्राप्त, कमसन्तान, सरकार द्वारा सम्मानित, माँ से स्नेह करने वाला, कार्यरत, उद्योगी, लोकमान्य, यशस्वी एवं व्यवहारज्ञ होता 5. पंचमभाव में गुरु हो तो जातक नीतिविशारद, सन्ततिवान्, सट्टे से धन प्राप्त करने वाला, कुलश्रेष्ठ, लोकप्रिय, कुटुम्ब में सबसे ऊँचा स्थान, ज्योतिषी एवं आस्तिक होता है। 6. षष्ठभाव में गुरु हो तो जातक विवेकी, प्रसिद्ध, ज्योतिषी, विद्वान् सुकर्मरत, दुर्बल, उदार, प्रतापी, नीरोगी, लोकमान्य, बहुत कमशत्रु एवं मधुरभाषी होता है। 7. सप्तमभाव में गुरु हो तो जातक सुन्दर, धैर्यवान्, भाग्यवान्, प्रवासी, सन्तोषी, स्त्रीप्रेमी, परस्त्रीरत, ज्योतिषी, नम्र, विद्वान् वक्ता एवं प्रधान होता है। 8. अष्टमभाव में गुरु हो तो जातक दीर्घायु, नम्रव्यवहार, लेखक, सुखी, शान्त, मधुरभाषी, विवेकी, ग्रन्थकार, कुलदीपक, ज्योतिषप्रेमी, मित्रों द्वारा धननाशक, गुप्तरोगी एवं लोभी होता है। 9. नवमभाव में गुरु हो तो जातक पराक्रमी, धर्मात्मा, पुत्रवान, बुद्धिमान, राजपूज्य, तपस्वी, विद्वान्, योगी, वेदान्ती, यशस्वी, भक्त, भाग्यवान् संन्यास की ओर प्रवृति एवं प्रचुर सन्तान होता है। 10. दशमभाव में गुरु हो तो जातक सुकर्म करने वाला, प्रसिद्ध और सम्मानित प्रतिष्ठित पद पर आसीन, सदाचारी, पुण्यात्मा, ऐश्वर्यवान्, साधु, चतुर, न्यायी, प्रसन्न, ज्योतिषी, सत्यवादी, शत्रुहन्ता, राजमान्य, स्वतन्त्र विचारक, मातृपितृ भक्त, लाभवान्, धनी एवं भाग्यवान् होता है। 11. ग्यारहवें भाव में गुरु हो तो जातक व्यवसायी, धनिक, सन्तोषी, सुन्दरनिरोगी, लाभवान्, पराक्रमी, सद्व्ययी, बहुस्त्रीयुक्त, विद्वान् राजपूज्य एवं अल्पसन्ततिवान् 102

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