Book Title: Saral Jyotish
Author(s): Arunkumar Bansal
Publisher: Akhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh

View full book text
Previous | Next

Page 154
________________ वर-कन्या के नक्षत्र क्रमशः आदि और अन्त्य नाड़ी के हों तो विवाह शुभ नहीं माना जाता। दोनों के नक्षत्र मध्य नाड़ी के हों तो मृत्युकारक होते हैं। उदाहरण में कन्या चन्द्रकला के नक्षत्र रेवती की नाड़ी अन्त्य है तथा वर जगदीशचन्द्र के नक्षत्र उत्तराषाढ़ा की नाड़ी अन्त्य है। इसी प्रकार गुण मिलान करने पर 0 गुण मिले। कुल गुण गुण वर वर्ण वैश्य कन्या वर्ण ब्राह्मण वश्य जलचर वश्य जलचर 172 तारा-4 तारा=7 योनि-नकुल योनि-गज राशीश-शनि राशीश गुरु गण मनुष्य गण-देव भकूट= मकर राशि 7 भकूट-मीन राशि नाड़ी-अन्त्य नाड़ी अन्त्य योग 192 गुणों के दृष्टिकोण से तो यह विवाह हो सकता है, लेकिन नाड़ी के गुण 0 होने से यह विवाह शुभ नहीं माना जा सकता। 154

Loading...

Page Navigation
1 ... 152 153 154