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11. ग्यारहवें भाव में सूर्य हो तो जातक धनी, बलवान्, सुखी, स्वाभिमानी, तपस्वी, मितभाषी, सदाचारी, योगी, अल्पसन्तति एवं उदररोगी होता है। 12. बारहवें भाव में सूर्य हो तो जातक वाम नेत्र तथा मस्तक रोगी आलसी, उदासीन, परदेशवासी, मित्र-द्वेषी एवं कृश शरीर होता है।
चन्द्रमा
1. लग्न (प्रथम) में चन्द्रमा हो तो जातक बलवान्, सुखी, स्थूलशरीर, गान वाद्यप्रिय, ऐश्वर्यशाली, व्यवसायी, उदार, धनी एवं विद्वान होता है। 2. द्वितीयभाव में चन्द्रमा हो तो जातक परदेशवासी, भोगी, सुन्दर मधुरभाषी, भाग्यवान्, सहनशील एवं शान्तिप्रिय होता है। 3. तृतीय भाव में चन्द्रमा हो तो जातक आस्तिक, तपस्वी, प्रसन्नचित्त, कफरोगी, मधुरभाषी प्रेमी, भाईयों और बहिनों का रक्षक, साहसी, विद्वान, एवं कंजूस होता
4. चतुर्थभाव में चन्द्रमा हो तो जातक सुखी, मानी, दानी, उदार, रोगरहित, राजद्वेषवर्जित, कृषक, विवाह के पश्चात् भाग्योदयी, जलजीवी एवं बुद्धिमान होता है। 5. पंचमभाव में चन्द्रमा हो तो जातक सदाचारी, कन्यासन्ततिवान्, चंचल सट्टे से धन कमानेवाला एवं क्षमाशील होता है। 6. षष्ठभाव में चन्द्रमा हो तो जातक अल्पायु, आसक्त, कफरोगी, खर्चीले स्वभाववाला, नेत्ररोगी एवं भृत्यप्रिय होता है। 7. सप्तमभाव में चन्द्रमा हो तो जातक सभ्य, धैर्यवान् नेता, विचारक, प्रावासी, जलयात्रा करने वाला, व्यापारी, अभिमानी, वकील, कीर्तिमान, शीतल स्वभाववाला एवं स्फूर्तिवान् होता है। 8. आठवेंभाव में चन्द्रमा हो तो जातक कामी, व्यापार से लाभवाला, विकाग्रस्त प्रमेहमरोगी, वाचाल, स्वाभिमानी, बन्धन से दुखी होने वाला एवं ईर्ष्यालु होता है। 9. नवेंभाव में चन्द्रमा हो तो जातक विद्वान, विद्यप्रिय, चंचल, न्यायी, प्रवास-प्रिय,
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