Book Title: Sankshipta Jain Itihas Part 01 Khand 02
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 13
________________ श्वे० आगमकी उत्पत्ति | श्वे० बौद्ध ग्रंथोका सादृश्य | हैहय व कलचूरी गजा । चालुक्य राजा व जेनधर्म । राष्ट्रकूट वशमें जनधर्म | ( ११ ) चावड़ राजाओंके जैन कार्य । सोलकी राजा व जनधर्म | सम्राट् कुमारपाल | कुमारपालकी साम्राज्यवृद्ध | जैन मन्त्री वाहड़ | कुमारपाल व जैनधर्म | कुमारपाल व साहित्यवृद्धि । कुमारपालका गार्हस्थ्य जीवन । सोलकी राज्यका पतन | वाघेल वंश और जैनधर्म । वस्तुपाल और तेजपाल । आबूके जैन मंदिर | वस्तुपाठका अंतिम जीवन । श्वे० धर्मका अभ्युदय । दिगम्बर धर्मका उत्कर्ष । (७) उत्तरी भारतके राज्य व जैनधर्म................१४४ राजपूत और जनधर्म | कन्नोजके राजा भोज परिहार | विविध राजवंशों में जैनधर्म । ग्वालियरके राजा व जैनधर्म । मध्यभारत जैनधर्म राजा ईल और जेनधर्म | मध्य प्रान्त में जैनधर्म | धाराका राजवंश और जैनधर्म।। राजा भुज और जैन विद्वान | ममितगति आचार्य | राजा भोज और जैनधर्म । दूवकुडके कच्छवाहे । नश्वर्मा और जैनधर्म | कविवर आशाघर | बगाठ मोड़ीसा में जैनधर्म ओड़ीसा के अंतिम राजा । राजपूताना में जनधर्म मेवाडके राणा वंश में जेनधर्म |. मारवाडमें जनधर्म । नादौ के चौहान व जैनधर्म राठौड़ो में जैनधर्म | मडोरके प्रतिहार व जनधर्म । वागड़ प्रान्तमें जैनधर्म | अजमेर के चौहान व जनधर्म |. सिंधु - पंजाबमें जनधर्म | तत्कालीन दि० जैन सघ । उज्जेन व वागका संघ । प्रसिद्ध दिगम्बराचार्य | मुनिधर्म | गृहस्थ धर्म । अनकी शुद्धि | जैनधर्मकी उपयोगिता ।

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