Book Title: Sambodhi 1976 Vol 05
Author(s): Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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१३८
लज्जावणयं माण- पडिसामगं कत्थ लहुत्तण- करपं माणिणि अत्थ-परिहीण - विगलो कओ बराक-सत्थ-मुहम्मि ( 2 ) विजर्णामि । सुठु वि किलिस्समाणो हवइ न पणई- परो सुयणो ॥ ११११
परिभवस्स जं मूलं । पणयं अहं काहं ॥। १११०
मं (?) पणएण धट्ठा दीण-श्रयण-जंपणेसु कय-निग्गमा । जिन्भा असम्भ-रहिया देहि त्ति न पच्चला वोत्तुं ॥ १११२ सव्यं माणमणग्घयं पमोत्तणं ।
सुत्थे नत्थि महं किंचि
terrori नाम ॥ १११३
वीसम ताब मुहन्तं रच्छामुह-भूसणम्मि एयम्मि । देवकुलम्मि विलासिणि ता काह भत्त वित्तंते ॥ १११४
ऋ
छण-दिवसेच्छण-संपिंडियस्स विवि-कहाण ठाणं
तत्थ य पहियावसहं
समागमुप्पायगं गहवईणं ।
गामेल्ल-चेड- मोहण-घरं व सीया- घरं पत्ता ||१११६ नमिऊण सव्व- सम्मंतीए (2) लोयम्मि विस्सुय-जसाए । दसरह - सुहाए एगपत्तीए सीयाए ॥। १११७ हरिओसारिय- सुद्धमि भूमि भागम्भ तो दुयग्गा वि । तत्थ निसण्णा सालि - कणिसे व्व पव्वे वित्तम्मि (?) ॥१११८
पामर - जुषाण-सत्थस्स । चउम्मुहं चत्थं ।। १११५
परसामो य जुयाणं सिंधव - कुले निवन्तेण पडिसन्ह - धवल - खोमय कुप्पासग-खोम [य] चलणिय समयं । पुरओ तुरिय-पहाविय तडवडिर वीर परिवारं ॥ ११२०
सव्वावत्तय विसुद्ध गन्तेणं । अस्स- पत्ते आयतं ॥ १११९
नागर-तरुणोति अहं म ( 2 ) लज्जिऊण य परस्सही 2 ) जाया । सीयाघरस्स कोणे अहंस संसिया अच्छ ॥११२१
अह सो कुम्मासहत्थी पयाहिणं देउलं करेमाणो । ददठूण अज्जपुत्तं हयाहिओ धाइओ सहसा ॥ ११२२ पडिओ य अज्जउत्तस्स तत्थ पाए भगइ अह संत आसी तुम्हं
सरसर- परुष्णो । गेहे चिरं कालं ॥ ११२३
तरंगलाला
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