Book Title: Sambodhi 1976 Vol 05
Author(s): Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 384
________________ १४२ संपलाली अह पर्णमिऊण गहिया लेहा ते तत्थ अज्जपुत्तेण । संदिट्ठादिट्ठा य ततो निसामंतो (?) ॥११३९ उग्घाड-करेण य पिययमेण अणुवाइया सणिय-सणियं। होज्ज हु रहस्स वयणं इह त्ति पच्छाययंतेण ॥११४० तो ते पयास लेहा गहियत्था तत्थ अज्जपुत्तेण । अह पाइया स-सद्द सुणावणत्थ पुणो मज्झ ॥११४१ रोस-ययणेहिं रहिया पसण्ण-विस्सास-सूयणा लिहिया । एह त्ति स-सवह-परा लेहत्था मे सुया दो वि ।।११४२ एवं सोऊण महं सो सोओ अवगओ य सयराई । परितोस पेसिएण य हिययं पुण्णं च हासेण ॥११४३ अइ निबिड-बंध-अइरेग-पीडिए गाढ-विसमिए सूणे । हत्थे पियस्स दठूण भणइ कुम्मासहत्थी सो ॥११४४ साहसु को भूयत्थो जं ते वर-हस्थि-हत्थ-संकासा । स-वणा य विसम सूणा बाहा रिउ-मंथण समत्था ।।११४५ कहियं जहाणुमूयं तस्स लहुं चेव उत्तम वसणं । अम्हेहि ज कयं घरिणि तत्थ दुन्नि कृतं तुरिनहिं(?) ।।११४६ कुम्मासहथिएण य एयं सोऊण जेवणं अम्हं । तग्गाम-माणणिज्जे बंभण-कुलए समाढत्त ॥११४७ तं तत्थ बंभण-कुलं उण्णय-बभत्थलेणइगया मो। निव्वम्मि चेय लंबावियय करग गल-मुयंत-जल-बिदु ।।१५४८ कय-पाय-स्सोयाणं गोसाल-पंतहिं निविट्ठाणं । सुद्धोदगं च दिण्णं हत्थ-प्पक्खालणं अम्हं ।।११४९ (तह) निप्पण्ण रसोइए सिद्ध सरस-निद्धन्न तोसिया अम्हे । अइरेग-रोयमाणं जिमिया अमयं प तं परिणि ।।११५० अह धोय-हत्थ-मुहया अवणिय-उचिट्ठ-भायणा विका(१)। घय-मक्खिय-चलण-वणा अभिवाइय त कुलं नीमो ॥११५१ कय-पज्जंता संता अह आसं दो-वि समारूढा । कुम्मासहत्थि-भड-चडगरेण परिवारिया पविट्ठा ॥११५२ देसवयंस-भूयं सिरीए आवासयं गुण-समग्ग । नयरं पणासयं मो सोगस्स पणासय पत्ता ॥११५३ नावाए उत्तिण्णा तत्थ नदि तो पभूय पाणीयं । तुंग-तड-कडय-विसमं गंगाए पयंसियं तमसं ॥११५४

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