Book Title: Sambodhi 1976 Vol 05
Author(s): Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: L D Indology Ahmedabad

Previous | Next

Page 390
________________ १४८ -वरंगोला तो तत्थ पिएण समं सोक्ख गुण कुलहरस्स माणंती । एगागिहस्थि-गामं अइच्छिया कालिगामं च ॥११८७ वासाय अइगया मो नगरि साहजणि जणाइण्ण । भवणेहि मेह-रुभएहि . . .. भारहिं ॥११८८ कविलास-तुंग-सिहरोवमम्मि नयरी पमाणुण(१) करम्मि। तत्थ निविट्ठा तुहा मित्त-घरे अंति-वासिस्स ॥११८९ तत्थ य मज्जण जेमण-उत्तम सेज्जा विहाण-कय-पूया। जेमाविय-सव्व-जणा पडियग्गिय-पवहण-बहल्ला ॥११९० तत्थ सुह चिय वुत्था कल्लं विच्छलिय-हत्थ-मुह पाया । तं कुलमामंतेऊण निग्गया उग्गए सूरे ॥११९१ णाणा-विहग-गणाणं सहेण य भमर महुयरिंगणाणं । गुरुजण-मिहो-कहाहि य गयं पि पंथं न-याणामो ॥११९२ कुम्मासहत्थि-कहिए गाम-पुराराम कित्तण-समूहे । पंथस्स य उसे चेइय-रुक्खे य पेच्छामो ॥११९३ अह हरिय-पत्त-सामं विस्सामं तत्थ पहिय-जूहाणं । पह चिंध-पर्ट भूमीए व पओहरं थोरं ।।११९४ कोसंबि सीम मउडं घण-निबिख-महल-साल-विस्थरयं । सउण-गण-उत्थरंतं कुम्मास-वडं समणुपत्ता ॥११९५ निग्गलिय-धषल-जलहर-बियाण-लीला-विलंबकं तत्थ । वर सुरभि-सरस-पुप्फोषयार-चिंचेल्लिय-पएसं ॥११९६ कय वंदणमालोया-सोत्थिय विथिण्ण पुण्ण-नव-कलसं । पढमं घरं गया मो सयण-परियणाकुलं रम्मं ॥११९७ आसण्ण-निद्ध-बंधव-अब्भरिहिय मित्त-सत्थ पच्चइया । कुम्मासवडे कोउय-सएहिं हविया दुयग्गा वि ११९८ पहाया कय पाडेकम्मा पउग्ग-चिचेल्लिया दुयग्गा वि । ससुर-कुलघरासण्णं नीया परितुट्ट-भजन-गया ॥११९९ अहमवि य जाण सहणं(१) घरगारूढा तय समणुगच्छ' । तत्तो य निग्गयाहिं धाईहिं समं स सारसिया ॥१२०० परिसधर-थेर-मयहर-दासोजण-तरुण चकायालेण । अण्णिज्जमाण-मग्गा पुरओ वच्चामि य पियस्स ॥१२०१ अण्णं सुवण्ण-पर-भंड-मंडियं तत्थ मे पिययमो वि । तुरग-पर-समारूढो स-वयंसो सो समन्नेइ ।।१२०२

Loading...

Page Navigation
1 ... 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416