Book Title: Sagar Jain Vidya Bharti Part 6
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 14
________________ (प्रवर्तक) ' देह भारतीय संस्कृति के दो प्रमुख घटकों का सहसम्बन्ध : मनुष्य वासना भोग I अभ्युदय (प्रेय) स्वर्ग 1 कर्म प्रवृत्ति I प्रवर्तक धर्म 1 अलौकिक शक्तियों की उपासना समर्पणमूलक 1 भक्तिमार्ग Jain Education International यज्ञमूलक कर्ममार्ग (निवर्तक) 1 चेतना विवेक I विराग (त्याग) देहदण्डनमूलक 1 तपमार्ग निवर्तक (भ्रमण) एवं प्रवर्तक (वैदिक) धर्मों के दार्शनिक एवं सांस्कृतिक प्रदेय प्रवर्तक और निवर्तक धर्मों का यह विकास भिन्न-भिन्न मनोवैज्ञानिक आधारों पर हुआ था, अतः यह स्वाभाविक था कि उनके दार्शनिक एवं सांस्कृतिक प्रदेय भिन्न-भिन्न हों । प्रवर्तक एवं निवर्तक धर्मों के इन प्रदेयों और उनके आधार पर उनमें रही हुई पारस्परिक भिन्नता को निम्न सारणी से स्पष्टतया समझा जा सकता है - प्रवर्तक धर्म १. जैविक मूल्यों की प्रधानता २. विधायक जीवन - दृष्टि ३. समष्टिवादी निःश्रेयस् मोक्ष (निर्वाण ) I संन्यास २. ३. | निवृत्ति निवर्तक धर्म 1 आत्मोपलब्धि चिन्तन प्रधान 1 ज्ञानमार्ग निवर्तक धर्म १. उपासनामूलक आध्यात्मिक मूल्यों की प्रधानता निषेधक जीवन-दृष्टि व्यष्टिवादी For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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