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उमास्वाति एवं उनकी उच्चैर्नागर शाखा का उत्पत्ति स्थल.... : ७७
मुसलमान लेखकों ने इसे बरण कहा है। मैं समझता हूँ कि यह वही जगह होगी और इसका नामकरण राजा अहिबरण के नाम के आधार पर हुआ होगा जो तोमर वंश से सम्बन्धित था और जिसने यह किला बनवाया था। यह किला बहुत पुराना है और एक ऊँचे टीले पर बना हुआ है। इसके आधार पर ही हिन्दुओं द्वारा इसे ऊँचा गाँव या ऊँचा नगर कहा गया है और मुसलमानों ने बुलन्दशहर कहा है।" यद्यपि कनिंघम ने कहीं भी इसका सम्बन्ध उच्चैर्नागर शाखा से नहीं बताया, किन्तु उनके द्वारा बुलन्दशहर का ऊँचानगर के रूप में उल्लेख होने से मुनि कल्याणविजयजी और कापड़ियाजी तथा बाद में पं. सुखलाल जी ने उच्चैर्नागर शाखा को बुलन्दशहर से जोड़ने का प्रयास किया। प्रो. कापड़िया ने यद्यपि अपना कोई स्पष्ट अभिमत नहीं दिया है। वे लिखते हैं "इस शाखा का नामकरण किसी नगर के आधार पर ही हुआ होगा, किन्तु इसकी पहचान अपेक्षाकृत कठिन है, क्योंकि बहुत सारे ऐसे ग्राम और शहर हैं जिनके अंत में 'नगर' नाम पाया जाता है। वे आगे भी लिखते हैं कि कनिंघम का विश्वास है कि यह ऊँचानगर से सम्बन्धित होगा । " चूंकि कनिंघम ने आर्कियोलाजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया के १४वें खण्ड में बुलन्दशहर का समीकरण ऊँचानगर से किया था, इसी आधार पर मुनि कल्याणविजय जी ने यह लिख दिया कि " ऊँचा नगरी शाखा प्राचीन ऊँचानगरी से प्रसिद्ध हुई थी। ऊँचा नगरी को आजकल बुलन्दशहर कहते हैं। " इस सम्बन्ध में पं. सुखलाल जी का कथन है- 'उच्चैर्नागर' शाखा का प्राकृत नाम 'उच्चानगर' मिलता है। यह शाखा किसी ग्राम या शहर के नाम पर प्रसिद्ध हुई होगी, यह तो प्रतीत होता है; परन्तु यह ग्राम कौनसा था, यह निश्चित करना कठिन है। भारत के अनेक भागों में 'नगर' नाम से या अन्त में 'नगर' शब्दवाले अनेक शहर तथा ग्राम हैं। 'बड़नगर ' गुजरात का पुराना तथा प्रसिद्ध नगर है। बड़ का अर्थ मोटा (विशाल) और मोटा का अर्थ कदाचित् ऊँचा भी होता है। लेकिन गुजरात में बड़नगर नाम भी पूर्वदेश के उस अथवा उस जैसे नाम के शहर से लिया गया होगा, ऐसी भी विद्वानों की कल्पना है। इससे उच्चनागर शाखा का बड़नगर के साथ ही सम्बन्ध है, यह जोर देकर नहीं कहा जा सकता। इसके अतिरिक्त जब उच्चनागर शाखा उत्पन्न हुई, उस काल में बड़नगर था या नहीं यह भी विचारणीय है। उच्चनागर शाखा के उद्भव के समय जैनाचार्यों का मुख्य विहार गंगा-यमुना की तरफ होने के प्रमाण मिलते हैं । अतः बड़नगर के साथ उच्च नागर शाखा के सम्बन्ध की कल्पना सबल नहीं रहती ।
इस विषय में कनिंघम का कहना है " यह भौगोलिक नाम उत्तर-पश्चिम प्रान्त के आधुनिक बुलन्दशहर के अन्तर्गत 'उच्चनगर' नाम के किले के साथ
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