Book Title: Rup Jo Badla Nahi Jata
Author(s): Moolchand Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 9
________________ स कमाल कर दिया ब्रह्मगुलाल | धन्य हो तुम-अगर शेर की निगाह पड़ीबकरी हमे पता न होता तो शायद हममें से एक दो के प्राण पर जो राजकुमार के पास 1 परवेल ही उड़ जाते। कैसी भयंकर गर्जना | बंधी थी। सोचा शेर ने... हमने ऐसा कलाकार आजतक नहीं ओह यह धोखा, यहचाल अगर देखा बकरी को छोड़ता हूँ तो मेरी बदनामी होती है,कला कलंकित होती है। यदि मारता हूँ तो संकल्पी हिंसा-पाप-महापाप-अपने जैनत्व को, अपनीमान्यताको, अपनेधर्म को बरबाद करता है। करूँ तो क्या करूं? 00000 D इतने में राजकुमार ने एक कंकड़ फेंक कर मारी शेर पर और उसे ललकारा... ROLOCTCut recr अरे तुम शेर होया गीदड़। बकरी सामने बंधी है और तुम शांत रखड़े हो-यही हैतुम्हारा शेरत्व-धिक्कार है तुम्हारी जिन्दगीको-व्यर्थही तुम्हारी माता ने तुम्हें जन्म दिया FAp TION CAR

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